Monday, December 15, 2008

तेज सरदी ने बदली लोगों की दिनचर्या और बदला खाने का जायका

जिले एवं गांव-कस्बों में ठंड ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सर्द हवाओं के चलते दोपहर की धूप बेअसर हो रही है, वहीं सुबह शाम अलाव भी जलने लगे हैं। अचानक ठंड बढने से रात को लोग जल्दी घरों में दुबक रहे हैं। चौराहों पर सन्नाटा पसर रहा है। गर्म कपडों की बिक्री में तेजी आने से दुकानदार खुश हैं, वहीं मिठाइयों की दुकानों पर दूध और गाजर के हलवे का लुत्फ लेने वालों की भीड बढ गई है। ठण्डे पानी के नजदीक जाते ही शरीर में कंपकंपी छूटने लगी है। ठंड तेज होने के साथ ही लोग अपने बचाव के लिए ऊनी वस्त्रों की खरीदारी में जुट गए हैं। विट्ठल विलास बाग स्थित तिब्बती बाजार में भीड नजर आ रही है। तेन्जीन ने बताया कि दोपहर 12 बजे के बाद ग्राहकों की अच्छी भीड जुट रही है। सभी तरह के गर्म कपडों की बिक्री हो रही है। नीमा और सोनम ने बताया कि दोपहर के समय ग्रामीण और शाम के समय शहरी लोगों की भीड ज्यादा रहने लगी है। कांकरोली मैन चौपाटी पर पुराने कपडे की दुकान लगाने वाले हाथीनाडा निवासी अशोक कुमार गुजराती ने बताया कि सर्दी बढने के साथ ही पुराने कपडों की बिक्री में भी तेजी आई है। लोग तिल्ली गजक, रेवडी, मठरी काजू व रोल गजक का मजा लेने से भी नहीं चूक रहे हैं। जे.के. रोड स्थित सचदेव बेकर्स के शंकर सचदेव ने बताया कि रेवडी, मूंगफली, चपडा एवं मठरी मैथी की बिक्री अचानक बढ गई है। गुड से बने आइटम ज्यादा पसंद किये जा रहे हैं। लोग सुबह से शाम तक धूप तलाशते नजर आने लगे हैं। गृहणियां दोपहर में धूप खिलने के बाद ही कपडे और बरतन धोने के काम कर रही है। काम निपटाने के बाद महिलाएं छतों पर धूप में बैठ स्वेटर बुनने, गेहूं व मक्के की पपडिया बनाने आदि काम करती नजर आ रही है। थडियों पर लोग धूप में बैठ चाय की चुस्की के साथ गप्पे लगाते नजर आते हैं। खाने के मेन्यू में भी बदलाव आ गया है। खाने में उडद की दाल ज्यादा पसंद की जा रही है। घरों में आलू, मैथी, पालक के पराठे और ढोकलों का लुत्फ लिया जा रहा है। कचोरी व्यवसायी ने बताया कि इन दिनों मिर्ची बडे और कोफ्ता की बिक्री में इजाफा हुआ है। देवगढ में सर्दी बढने के साथ ही घरों में मक्के की रोटी और कुलथ का साग खूब पसंद किया जा रहा है। इन दिनो ढोकले, मक्के का खींच, घाट, राब आदि हर घर का मेन्यू बना हुआ है। भोजन में तिल्ली के तेल का उपयोग बढ गया है। घाणी पर तेल निकलवाने वालों और खरीदने वाले ग्राहक बढ गए हैं। मांग बढने से तेल के दामों में भी तेजी आई है। चंदल तेली ने बताया तिल्ली का तेल 180 रूपए किलो होने के बावजूद लोगों की भीड है। लोग जगÝ भी बनवा रहे हैं। हलवाई की दुकानों पर लोग गाजर के हलवे का मजा लेने से नहीं चूक रहे है। कई लोग मक्के की रोटी गुड के साथ खाते नजर आ रहे हैं। महिलाएं तिल और उडद के लड्डू बनाने में जुटी हैं। लोग शाम होते ही बिस्तर की शरण ले लेते हैं और सुबह देर तक रजाई मे दुबके रहने लगे हैं। दिन में खिलने वाली धूप जरूर ठंड से कुछ धंटों के लिए राहत दे रही है। सर्दी में खाने के स्वाद का जमकर लुत्फ उठा रहे हैं। पारा ऊपर चढे रहने से किसानों में गेहूं, जौ और सब्जियों की बुआई को लेकर संशय था, जो अब खत्म हो गया।भीम उपखण्ड क्षेत्र में बढी सर्दी बढने से लोगों के खान-पान, पहनावे और रहन-सहन में परिवर्तन आने लगा है। घरों में इन दिनों घाट, ढोकले, कुलथ-बाकले, उडद की दाल, मक्के की रोटी आदि बनाई जा रही है। चुपडने के लिए तिल्ली के तेल का ज्यादा उपयोग हो रहा है। लोग मक्के की राब के मोह से खुद को दूर नही रख पा रहे है। मैथी, मिश्री, उडद और घी आदि के शक्तिदायक पकवान बनाए जा रहे हैं। शाम ढलते ही बाजारों में सन्नाटा पसर जाता है। लोग कम्बल और रजाई मेें दुबक टीवी का आनंद ले रहे हैं। बढती सर्दी में गेहूं, चने की अच्छी फसल के लिए लाभ दायक होने से किसानों की उम्मीदें भी बढी हैं। शहर व ग्रामीण अंचल में पिछले दो दिनों में सर्दी के तेवर तेज होने के बाद घरों की रसोई में नाना व्यंजन बनने लगे हैं। इन दिनों ढोकले ज्यादा बन रहे हैं। युवाओं मे 56 मसालों से बने ढोकले का विशेष चलन है। जिसे लोग तिल्ली और मूंगफली के तेल के साथ लहसुन, प्याज के तडके से बनी दाल के साथ चटकारे लगाते हुए खा रहे हैं। कई घरों में उडद, मंूग का मोगर और बादाम का हलवा भी बनाया जा रहा है। ग्रामीण अंचल की महिलाएं गुड के साथ बनने वाले व्यंजन, गुडवाली राब (गलवाणी) मक्के की बाटियां आदि अघिक बना रही हैं।

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