Friday, May 1, 2009

संस्कार ही जीवन के आधार : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जीवन शिक्षा से नहीं संस्कार से चलता है। अत: विद्यार्थी विद्यालय में शिक्षा ही नहीं संस्कार भी ग्रहण करें। शिक्षा से जीविका मिलती है लेकिन जीवन तो संस्कार से चलता है। इसलिए हम शिक्षा से यादा संस्कार को महत्व दें। यह विचार उन्होने शुक्रवार को सौ फीट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार में कुंदन निवास पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किए।
उन्होने कहा संस्कार विहीन शिक्षा निरर्थक है। क्याेंकि संस्कार के बिना कोरी शिक्षा सुखदायी नहीं होती और उससे शांति भी नहीं मिल सकती है। मुनि ने बताया कि संस्कार निर्माण में अभिभावक, शिक्षक और धर्मगुरू महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यदि जागरूकता के साथ सामुहिक प्रयास किया जावे तो स्वरूप व्यक्ति और स्वस्थ समाज निर्माण की दिशा में सशक्त कदम हो सकता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि विकास व मुनि कोमल ने भी विचार व्यक्त किए।
हिम्मतमल कोठारी ने कहा कि मुनि तत्वरू चि तरूण के सान्निध्य में शनिवार रात को सौ फीट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार कुंदन निवास पर एक शाम संघ के नाम से संघ भक्ति संध्या का आयोजन किया जाएगा।
संस्कार विहीन जीवन अभिशाप : मुनि सुरेश कुमार हरनावा ने कहा कि संस्काराें व संयम विहीन जीवन समाज के लिए अभिशाप है। सद संस्काराें से युक्त मानव का संयम के साथ व्यक्तिगत व पारिवारिक जीवन सुखी होता है। मुनि कुल गांव में श्रावक-श्राविकाआें को सम्बोधित कर रहे थे। भिक्षु बोधि स्थल राजसमन्द मीडिया प्रभारी श्रीमती लाड मेहता ने बताया कि मुनि शनिवार दो मई को प्रात: कुल गांव से विहार कर दो व तीन मई गजपुर-घाटा, चार को पावणा व पांच मई को रीछेड जाएंगे।

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