Monday, May 4, 2009

धर्म और सुख भीतर है : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि धर्म से सुखानुभूति होनी चाहिए। धर्म करें और सुख की अनुभूति न हो तो वह और कुछ हो सकता परन्तु धर्म नहीं हो सकता। क्याेंकि धर्म और सुख दो नहीं है। जहां धर्म वहां सुख, जहां सुख वहां धर्म है। यह विचार उन्होने रविवार को राजनगर सौ फीट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार के कुंदन निवास पर धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि ने कहा धर्म और सुख बाहर नहीं हमारे भीतर है। इनकी प्राप्ति के लिए स्वयं के भीतर खोज होनी चाहिए। अज्ञानता के कारण हम इन्हें बाहर में खोजते हैं। जब हमारे भाव, वाणी और मन पवित्र हाेंगे तो धर्म और सुख स्वत: ही भीतर प्रकट हो जाएंगे। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
भक्ति संध्या : मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्नध्य में शनिवार रात को सौ फीट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार में एक शाम संघ के नाम से संघ भक्ति संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें मुनि विकास कुमार ने भावपूर्ण गीतों का संगान कर श्रोताआें को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर मुनि भवभूति, अनिल कुमार बडाला, अशोक बडाला, अरविन्द कुमार गेलडा सहित बडी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
मुनि शुभकरण आज चारभुजा में : ध्यान योगी मुनि शुभकरण सोमवार चार मई को प्रात: सम्बोधि उपवन परिसर से विहार कर चारभुजा पहुंचेगे। उपवन संचालक मंडल सदस्य राजकुमार दक ने बताया कि मुनि पांच एवं छह मई को हिमाचलसूरी नगर में आयोजित मुमुक्ष मिलनकुमार के दीक्षा समारोह में भी उपस्थित रहेंगे।

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