Wednesday, May 13, 2009
कलक्टर भी नहीं बचा पाए गोमती
राजसमंद। गोमती नदी का अस्तित्व बचा रहे और इसका पूरा पानी राजसमंद झील में पहुंचे, इसके लिए जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में कारगर कदम उठाए गए थे। दो पूर्व जिला कलक्टरों के नेतृत्व में गोमती नदी में सफाई अभियान भी चलाया गया और साथ ही सम्बन्घित ग्राम पंचायत को निर्देश भी जारी हुए, लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात रहा। गौरतलब है कि केलवा क्षेत्र की मार्बल इकाइयों से राजसमंद झील की भराव क्षमता खतरे में पड गई है। यहां के स्वरूप सागर तालाब व गोमती नदी के बीच चार किलोमीटर नाला मार्बल स्लरी एवं मलबे से पट चुका है। ऎसे में गोमती नदी से इस बारिश में राजसमंद झील तक पानी पहुंचना मुश्किल ही है। बहाव क्षेत्र को बचाने के लिए वर्ष 05-06 तथा 06-07 में तत्कालीन जिला कलक्टर वैभव गालरिया व आनन्द कुमार ने अलग-अलग रूप से गोमती नदी के संरक्षण के लिए ठोस कार्रवाई की थी। गैंगसा एसोसिएशन व आर. के. मार्बल ने संयुक्त रूप से बडे पैमाने पर गोमती सफाई अभियान चलाया तथा लाखों रूपए खर्च कर स्लरी से पटी गोमती नदी खाली करवाई।फिर हुई पुनरावृत्ति 06-07 में एक बार फिर तत्कालीन जिला कलक्टर आनन्द कुमार के नेतृत्व में गैंगसा एसोसिएशन और पर्यावरण विकास संस्थान ने मिलकर सफाई अभियान चलाया। इस बार दोनों की ओर से करीब चार लाख रूपए खर्च किए गए और नदी के स्वरूप निखारा गया।पंचायत को निर्देश सफाई अभियान समाप्त होने के साथ ही पूर्व कलक्टर आनन्द कुमार ने तासोल ग्राम पंचायत को नदी के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए निर्देशित किया और नदी में स्लरी और मलबा डालने वालों के लिए दंड शुल्क निर्धारित किया। पुरस्कार की घोषणातासोल उप सरपंच प्रकाश पालीवाल ने बताया कि जिला कलक्टर के दंड शुल्क के निर्देश के बाद दिन में किसी मार्बल इकाई ने नदी में स्लरी व मलबा डालने की हिम्मत नहीं की, लेकिन रात में कारनामे होते रहे और नदी फिर पट गई। उन्होंने बताया कि नदी में स्लरी डालने वाले की सूचना देने वाले ग्रामीणों के लिए उन्होंने स्वयं ने पांच सौ रूपए पुरस्कार की घोषणा की थी। नदी में स्लरी व मलबा डालने वालों के लिए ग्यारह सौ रूपए दंड का प्रावधान रखा गया था।
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