राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने ने कहा कि अमरता अहंकार से नहीं विनम्रता से प्राप्त होती है। विनमता मानव का सर्वोपरि गुण है जिसके अन्दर प्रकट हो जाता है वह महा मानव बन जाता है। उक्त विचार उन्होने गुरूवार को सौ फीट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि ने कहा कि अहंकारी स्वयं भी टूटता और दसरों को भी तोडता हे। जबकि विनम्रता सदा जोडने का काम करती है। वह एक ऐसी सूई हे जो टूटे हुए दिलों को जोड देती है। विनम्रता से ही व्यक्ति चिर स्थायी बनता है। मुनि ने कहा कि अहंकारी झुकना अपमान समझता है लेकिन झुकना कोई अपमान नहीं बल्कि उसके प्राणवान होने का प्रमाण है। मुर्दा कभी नहीं झुकता क्योंकि वह निष्प्राण होता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि विकास, मुनि कोमल ने भी उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment