राजसमन्द। मुनि जतन कुमार लाडनूं ने कहा कि समता सबसे बडी साधना है जो हर परिस्थिति में सदा सम रहती है, जैन धर्म का मूल उपदेश समता है। समता का विकास व्यक्ति को महान बनाता है समता का अर्थ है सबके प्रति समभाव रखना। वे रविवार को समीपवर्ती गांव बोरज के तेरापंथ भवन में आयोजित धर्मसभा में श्रावक-श्राविकाआें को सम्बोधित कर रहे थे। मुनि ने कहा जीना ही जीवन नहीं, बल्कि संयम पूर्वक जीना ही जीवन है। मरना ही मृत्यु नहीं बल्कि अनैतिक आचरण में जीवन को खपाना ही मृत्यु है। सभा को सम्बोधित करते हुए मुनि आनन्द कुमार कालु ने कहा कि धर्म रुपयाें से नहीं खरीदा जा सकता बल्कि त्याग तपस्या आदि शुध्द आचरण से धारण किया जा सकता है। धर्म बाहर की नहीं बल्कि भीतर की प्रयोगशाला है। उन्होने कहा धर्म दया में है, धर्म त्याग में है, धर्म अहिंसा में है और जहां राग, द्वेष और स्वार्थ की प्रवृति होती है वहां धर्म नही ंहोता है। मुनि ने कहा श्रध्दा आस्था और समर्पण में जान हो तो संत भिक्षु खद भक्त के द्वार पर दस्तक देते हैं। मृत्यु जीवन का अटल सत्य नियम है, जिसने इस अटल सत्य नियम को जान लिया है उसके जीवन में दुख कभी आ नहीं सकता।
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