राजसमन्द। मुनि जतन कुमार लाडनूं ने कहा कि आचार्य तुलसी विलक्षण प्रतिभा के धनी इतिहास पुरूष थे। उनके व्यक्तित्व का प्रत्येक पहलू दिव्यता और भव्यता से अगणित था। वे पुरूषार्थ के प्रतीक थे, भाग्य के अधिनायक थे, मानवता के मसीहा थे। उक्त विचार उन्होने मंगलवार रात को बोरज स्थित तेरापंथ भवन में विसर्जन दिवस के रूप में आयोजित आचार्य तुलसी की मासिक पुण्य तिथि कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा आचार्य तुलसी की ओर से प्रदत्त अवदान-अणुव्रत, प्रेक्षा ध्यान, जीवन विज्ञान, अहिंसा-समवाय, समण श्रेणी, नया मोड, नारी जाति का उत्थान, आदर्श, साहित्य संघ, आगम संपादन, जैन विश्व भारती युनिवर्सिटी लाडनूं आदि का वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता पर सारगर्भित विवेचन, गीतिका एवं उदबोधन के माध्यम से प्रस्तुत किया। मुनि आनन्द कुमार कालू ने कहा कि इस धरा पर उनके महापुरूषाें ने जन्म लिया। उन महापुरूषाें में आचार्य तुलसी अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र के उवल नक्षत्र थे। उन्होने कहा कि आचार्य तुलसी यश-प्रतिष्ठा की भावना से दूर आध्यात्मिक पुरूष थे। इस अवसर पर चन्द्रेश परमार, श्रीमती पानी देवी ढीलीवाल, चन्द्रा परमार, खुश सामोता, कीर्तिक सांखला सहित कई श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।
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