राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि अहिंसा की प्रतिष्ठा के लिए सहिष्णुता के प्रति निष्ठा जरूरी है। आत्महत्या या परहत्या का रास्ता वहीं अपनाता जिसमें सहनशीलता का अभाव है। हिंसा असहिष्णुता की पैदाईश है। सहिष्णुता अहिंसा धर्म का प्रवेश द्वार है। उक्त विचार उन्होने बुधवार को सौ फिट रोड स्थित महाप्रज्ञ विहार में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। उन्होने कहा अहिंसा धर्म पर वही अडिग रह सकता जो दीमाग से परिपक्व है और मन से मजबूत है। कमजोर आदमी कठिनाइयाें को झेलने में और चोटो को सहन करने में समर्थ नहीं होता। वह व्यक्ति महान है और वह वस्तु मूल्यवान है जिसमें सहन करने की क्षमता है। मुनि ने कहा कि परिवार और समाज के विघटन का बहुत बडा कारण है-असहिष्णुता। जहां सहनशीनलता नहीं है वहां न अनुशासन न मर्यादा एवं व्यवस्था टिक पाएगी न परिवार और संस्था चल पाएगी। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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