Monday, May 18, 2009

संयम का पुजारी कभी दु:खी नही होता : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि संत संसार में सुखी है। क्याेंकि वे संयम के पुजारी है। संयम का पुजारी कभी दु:खी नहीं होता। जिसने संयम का पथ अपना लिया उसने दु:ख के द्वार बंद कर दिए और सुख शांति के द्वार खोल दिये हैं। उक्त विचार उन्होने सोमवार को किशोरनगर में चन्दन निवास पर आयोजित धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा जीवन संयम से चलता है। संयम के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वास्तव में संयम जीवन और असंयम मृत्यु है। मुनि ने कहा कि जो सुख से जीना चाहते हैं उन्हें अपनी आदतों, वृतियाें का संयम करना चाहिए। आदमी अपनी असंयमित प्रवृतियाें की वजह से तनाव और दु:खमय जीवन जीता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए। प्रवचन पश्चात डॉ अनमोल पगारिया ने संतो के स्वास्थ्य की जाच भी की।

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