Friday, May 15, 2009

धर्म और समाज को एक न करें : मुनि जतन कुमार

राजसमन्द। धर्म और समाज को एक न करें। धर्म अलग है, समाज अलग। सामाजिक व्यवहार भी जरूरी है। बिना सामाजिक व्यवहार के धम्र भी एकांकी होता है। जहां समाज है, वहां पर सभी प्रकार के व्यक्ति होते हैं। अमीर है तो गरीब भी है। उक्त विचार मुनि जतन कुमार लाडनूं ने शुक्रवार को तेरापंथ सभा भवन बोरज में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। उन्होने कहा कि आज व्यक्ति नाम केलिए कार्य करता है। जब तक व्यक्ति के मन में नाम की भावना रहती है तब तक वह अध्यात्म की ओर अग्रसर नहीं हो सकता है। अध्यात्म के बिना जीवन का सूचारू ढंग से संचालन नहीं हो सकता। इस अवसर पर मुनि आनन्द कुमार कालू ने कहा कि अध्यात्म की चेतना जाग जाए तो फिर आदमी कभी कोई अनैतिक या अप्रामाणित काम करेगा ही नहीं। अध्यात्म की चेतना-अहिंसा की चेतना, करूणा की चेतना और संवेदनशीलता की चेतना है। उन्होने कहा कि वर्तमान युग की सबसे बडी समस्या है अनैतिकता और अप्रमाणिकता की। इस समस्या के समाधान के लिए नैतिक चेतना का जागरण बहुत जरूरी है।

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