राजसमन्द। मुनि सुरेश कुमार ने कहा कि मां ममता की मूरत और प्यार का साग होती है जिसके स्नेह का कोई पारावार नहंी होता। एसी ममता की मूरत की आंखो में अगर औलाद की वजह से आंसू छलक पडे तो यह नहीं भूलना चाहिए उन आंसुओं की हर एक बुंद के साथ तमाम दान बह जाते हैं। उक्त विचार उन्होने रविवार को भिक्षु बोधि स्थल में मां तो मां ही है विषय पर प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा मां कहते ही मुंह भरने को आता है जो मां अपनी औलाद को नौ महीनों तक कोख में रखकर हर दर्द सह जाती है खुद गीले में सोकर बच्चों को सुखे में सुलाती है ऐसी ममतामयी मां को अपनी चमडी का चादर भी पहना दिया जाए तो भी मां का कर्ज चुकाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर मुनि सम्बोध कुमार ने भी विचार व्यक्त किए। मुनि विनयरूचि ने गीत प्रस्तुत किया।
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