Tuesday, July 21, 2009

कैसे बने हमारा जीवन त्यागमय : मुनि सुरेश कुमार

राजसमन्द। जेन आगम मे लब्धियों का वर्णन आता है। त्यागमय जीवन व सिध्दि के लिए तपना पडता है। जैसे सोना तप कर सौंदर्य का प्रतिक बनता है ठीक उसी पर दृढ संकल्प होता है तो व्यक्ति जीवन में बहुत कुछ व आगे के जीवन की शुभ कल्पना कर सकता है। उक्त विचार मुनि सुरेश कुमार ने मंगलवार को तेरापंथ महिला मंडल राजसमन्द की साप्ताहिक संगोष्ठी में भिक्षु बोधि स्थल में व्यक्त किए। इस अवसर पर मुनि सम्बोध कुमार ने भी विचार व्यक्त किए। संस्था अध्यक्ष श्रीमती लाड मेहता ने बताया कि कार्यक्रम की शुरूआत मंडल की बहिनाें ने गीतिका का संगान कर की। आभार सह मंत्री राजुला मादरेचा ने किया। सहमंत्री श्रीमती ललिता चपलोत ने बताया कि आगामी 28 जुलाईको त्यागमय जीवन क्याें आवश्यक है विषय पर परिचर्चा होगी जिसमें श्रेष्ट विचारो की अभिव्यक्ति देने वालों को सम्मानित किया जाएगा।
अधिवेशन सम्पन्न : भिक्षु बोधि स्थल राजसमन्द का द्विवार्षिक अधिवेशन सोमवार रात को सम्पन्न भिक्षु बोधि स्थल राजनगर में सम्पन्न हुआ। अधिवेशन में दो वर्ष के कार्यक्रमाें की रिपोर्ट, आय-व्यय का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया वहं नव निर्माणाधीन भिक्षु निलयम के विकास सहित कई मुद्दाें पर चर्चा की गई। अधिवेशन में चुनाव अधिकारी एवं कार्याध्यक्ष डूंगरसिंह कर्णावट के नेतृत्व में सदन में सत्र 09-11 के लिए सर्वसम्मति से गणपत सिंह धर्मावत को भिक्षु बोधि स्थल के अध्यक्ष पद पर मनोनित किया गया। नव निर्वाचित अध्यक्ष को पूर्व अध्यक्ष सुरेशचन्द्र कावडिया, मंत्री रमेश चपलोत सहित पूरी कार्यकारिणी ने बधाई दी।

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