राजसमन्द। मुनि जतन कुमार लाडनूं ने कहा कि त्याग में वेराग्य भाव जरूरी है। वेराग्य भाव शून्य त्याग सिर्फ दिखावा है। हम आडम्बर प्रदर्शन से मुक्त होकर वेर भाव से त्याग का अनुसरण करे।
तेरापंथ सभा भवन केलवा में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में मुनि ने यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वास्तव में त्याग तो वैराग्य की नियति है। बिना वैराग्य के त्याग, त्याग मजाक है। उन्होंने कहा कि त्याग बाहर से और वैराग्य भीतर से आता है। जो त्याग वैराग्य से ग्रहण किया जाता है
मुनि आनंद कुमार कालू ने भी विचार व्यक्त किए। मीडिया प्रभारी रीना बोहरा ने बताया कि मुनि जतन कुमार के सान्निध्य में प्रात: महामांगलिक पाठ तथा सुबह नौ से दस बजे तक पाण्डव चरित प्रवचन आयोजित हो रहा है।
तेरापंथ सभा भवन केलवा में शनिवार को आयोजित धर्मसभा में मुनि ने यह विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वास्तव में त्याग तो वैराग्य की नियति है। बिना वैराग्य के त्याग, त्याग मजाक है। उन्होंने कहा कि त्याग बाहर से और वैराग्य भीतर से आता है। जो त्याग वैराग्य से ग्रहण किया जाता है
मुनि आनंद कुमार कालू ने भी विचार व्यक्त किए। मीडिया प्रभारी रीना बोहरा ने बताया कि मुनि जतन कुमार के सान्निध्य में प्रात: महामांगलिक पाठ तथा सुबह नौ से दस बजे तक पाण्डव चरित प्रवचन आयोजित हो रहा है।
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