राजसमन्द। अमूमन जन्म दिन धूमधाम से मनाने के लिए हर किसी की ख्वाइश होती है। मध्यम वर्ग जहां मित्र-रिश्तेदारों के साथ अपनी खुशी को घरेलू माहौल में ही बांटते नजर आते है वहीं धनाढय वर्ग जन्म दिन पर होटल में बड़ी-बड़ी पार्टी रख कर पाश्चात्य डांस और शैम्पेन की बोतल खोलकर खुशी में झूमते है। ऐसे में किसी धनाढय परिवार का गरीब और जरूरतमंद लोगों की खुशी में अपनी खुशी देखने की मिसाल काफी कम ही मिलती है मगर नगर के एक धनाढय परिवार ने न केवल ऐसा किया अपितु गरीब व जरूरतमंद लोगों की हरसंभव मदद कर उनके मुरझाए चेहरे को खिलाने में भी कोई कसर नहीं रखी।
शहर के फतहलाल टांक व जगदीश चंद्र टांक पुत्र स्वर्गीय गौरीलाल टांक ने अपना-अपना जन्म दिन को 'जियो तो उनके लिए जियो जिन्हें जिदंगी की जरूरत है' की तर्ज पर यादगार बना दिया। फतहलाल व जगदीशचंद्र ने अपने जन्म दिन पर परिवार सहित शहर की झुग्गी-झौंपड़ियों में रहने वाले बच्चों के साथ दिन भर रहे और बच्चों को नहलाने से लेकर कपड़े पहनाने और स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए। यही नहीं उन्होंने गरीब व जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई करवाने का संकल्प दिलाते हुए उन्हें अध्ययन सामग्री व खेलकूद के सामान सहित अन्य उपहार भी दिए। वहीं बच्चों के उत्साह पर उन्हें कार से सेैर भी करवाई। दोनों ने झुग्गी झौपड़ियों के बच्चों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी अध्ययन सामगी उपलब्ध करवाई।
शहर के फतहलाल टांक व जगदीश चंद्र टांक पुत्र स्वर्गीय गौरीलाल टांक ने अपना-अपना जन्म दिन को 'जियो तो उनके लिए जियो जिन्हें जिदंगी की जरूरत है' की तर्ज पर यादगार बना दिया। फतहलाल व जगदीशचंद्र ने अपने जन्म दिन पर परिवार सहित शहर की झुग्गी-झौंपड़ियों में रहने वाले बच्चों के साथ दिन भर रहे और बच्चों को नहलाने से लेकर कपड़े पहनाने और स्वादिष्ट व्यंजन खिलाए। यही नहीं उन्होंने गरीब व जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई करवाने का संकल्प दिलाते हुए उन्हें अध्ययन सामग्री व खेलकूद के सामान सहित अन्य उपहार भी दिए। वहीं बच्चों के उत्साह पर उन्हें कार से सेैर भी करवाई। दोनों ने झुग्गी झौपड़ियों के बच्चों के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी अध्ययन सामगी उपलब्ध करवाई।
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