राजसमन्द। । जिला मुख्यालय के आर.के. राजकीय चिकित्सालय में आने वाले रोगियों व उनके परिजनों को पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिल पाने के कारण उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
शहर से एक तरफ एवं दूर होने के कारण लोगों को अस्पताल आने जाने के लिए परिवहन की समुचित सुविधा नहीं मिल पाती है। कांकरोली से ऑटोरिक्शा चलते तो है लेकिन वे महज गिनती के होने से लोगों को आवाजाही के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। शाम छह बजे बाद तो परेशानी और बढ़ जाती है। शाम को ऑटोरिक्शा मिलना राम भरोसे रहता है। जिले के दूर-दराज के देहात क्षेत्रों से आने वाले रोगियों व परिजनों के लिए यह समस्या और भी यादा रहती है और यही कारण है कि वे राजसमन्द के अस्पताल में आने से कतराते है एवं यहां की बजाय अन्यत्र और यहां तक कि उदयपुर जाने से भी गुरेज नहीं करते।
यहां किसी भी बैंक की एटीएम सुविधा नहीं होने से अस्पताल में भर्ती रोगियों के परिजनों को पैसे की एकाएक जरुरत पड़ने पर एटीएम के लिए तीन-चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता है जिससे उन्हें काफी दिक्कतें होती है। चिकित्सालय व इसके आसपास के क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क सेवा भी नाम मात्र की रहने से काफी परेशानी रहती है। भारत संचार निगम का नेटवर्क कवरेज तो अक्सर गायब ही रहता है और अन्य निजी कम्पनियों की हालत भी पतली ही रहती है।
इधर अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते परिसर में निर्मित उद्यान के इर्दगिर्द झाड़ियों की भरमार हो रही है और इसका फायदा उठाते हुए लोग इस उद्यान की चहारदिवारी के पास ही शौच के लिए चले जाते है जिससे अस्पताल में प्रदूषण फैलता रहता है।
शहर से एक तरफ एवं दूर होने के कारण लोगों को अस्पताल आने जाने के लिए परिवहन की समुचित सुविधा नहीं मिल पाती है। कांकरोली से ऑटोरिक्शा चलते तो है लेकिन वे महज गिनती के होने से लोगों को आवाजाही के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। शाम छह बजे बाद तो परेशानी और बढ़ जाती है। शाम को ऑटोरिक्शा मिलना राम भरोसे रहता है। जिले के दूर-दराज के देहात क्षेत्रों से आने वाले रोगियों व परिजनों के लिए यह समस्या और भी यादा रहती है और यही कारण है कि वे राजसमन्द के अस्पताल में आने से कतराते है एवं यहां की बजाय अन्यत्र और यहां तक कि उदयपुर जाने से भी गुरेज नहीं करते।
यहां किसी भी बैंक की एटीएम सुविधा नहीं होने से अस्पताल में भर्ती रोगियों के परिजनों को पैसे की एकाएक जरुरत पड़ने पर एटीएम के लिए तीन-चार किलोमीटर दूर जाना पड़ता है जिससे उन्हें काफी दिक्कतें होती है। चिकित्सालय व इसके आसपास के क्षेत्र में मोबाईल नेटवर्क सेवा भी नाम मात्र की रहने से काफी परेशानी रहती है। भारत संचार निगम का नेटवर्क कवरेज तो अक्सर गायब ही रहता है और अन्य निजी कम्पनियों की हालत भी पतली ही रहती है।
इधर अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते परिसर में निर्मित उद्यान के इर्दगिर्द झाड़ियों की भरमार हो रही है और इसका फायदा उठाते हुए लोग इस उद्यान की चहारदिवारी के पास ही शौच के लिए चले जाते है जिससे अस्पताल में प्रदूषण फैलता रहता है।
No comments:
Post a Comment