राजसमन्द। नवीन शिक्षा सत्र शुरू हुए तीन दिन बीत चुके है लेकिन हाईकोर्ट से आदेश लाने वाली एक विद्यार्थी मित्र को आज भी वॉइनिंग के लिए विद्यालय से कार्यालय तक के चक्कर लगाने को मजबूर है। उस पर हालात यह है कि अदालत व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आदेश को विद्यालय का संस्था प्रधान नकारते हुए महिला विद्यार्थी मित्र को कार्यभार ग्रहण नहीं करने दे रहा है।
सूचना के अनुसार राजकीय माध्यमिक विद्यालय अरडकिया (ओडा) में लीला दाधीच पत्नी चंद्रशेखर आचार्य गत वर्ष चार जुलाई से विद्यार्थी मित्र पद पर कार्य भार ग्रहण किया और इस पर वह करीब 15 जनवरी तक कार्यरत रही। इसके उपरांत प्रसूति होने से वह अवकाश प्रार्थना पत्र देकर गई। लीला के अवकाश पर जाते ही संस्था प्रधान ने उक्त पद पर अन्य व्यक्ति को विद्यार्थी मित्र के तौर पर कार्यभार ग्रहण करवा दिया। इधर विद्यार्थी मित्र संघ द्वारा विद्यार्थी मित्रों को नहीं हटाने के सम्बन्ध में हाई कोर्ट में रिट 588809 के तहत वाद दायर किया। उक्त रिट में लीला का क्रमांक 55 है। हाई कोर्ट से विद्यार्थी मित्रों को नहीं हटाने सम्बन्धी आदेश मिलने के बाद राय सरकार ने विद्यार्थी मित्रों को एक जुलाई से सम्बन्धित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करवाने के निर्देश जारी किए। इसके बावजूद लीला दाधीच एक जुलाई को जब रामावि अरडकिया पहुंची तो संस्था प्रधान ने उसे कार्य भार ग्रहण करवाने से इनकार कर दिया। इस सम्बन्ध में लीला ने जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक से सम्पर्क किया तो उन्होंने संस्था प्रधान से अदालत आदेश पर कार्यभार ग्रहण करवाने के निर्देश दिए लेकिन संस्था प्रधान ने लीला को कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया। लीला के अनुसार अदालत के एक ही आदेश पर एक को कार्यभार ग्रहण करवाया जबकि दूसरे को नहीं करवाया जा रहा है। लीला ने बताया कि वह छह माह तक कार्यरत रही जबकि उसकी जगह लगाए गए विद्यार्थी मित्र ने मात्र चार माह तक ही कार्य किया।
इस सम्बन्ध में संस्था प्रधान निर्मल पारिक ने कहा कि विद्यालय में चार पद रिक्त थे। उन पर चारों विद्यार्थी मित्र ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। विद्यालय में पद रिक्त नहीं होने से लीला दाधीच को कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया।
सूचना के अनुसार राजकीय माध्यमिक विद्यालय अरडकिया (ओडा) में लीला दाधीच पत्नी चंद्रशेखर आचार्य गत वर्ष चार जुलाई से विद्यार्थी मित्र पद पर कार्य भार ग्रहण किया और इस पर वह करीब 15 जनवरी तक कार्यरत रही। इसके उपरांत प्रसूति होने से वह अवकाश प्रार्थना पत्र देकर गई। लीला के अवकाश पर जाते ही संस्था प्रधान ने उक्त पद पर अन्य व्यक्ति को विद्यार्थी मित्र के तौर पर कार्यभार ग्रहण करवा दिया। इधर विद्यार्थी मित्र संघ द्वारा विद्यार्थी मित्रों को नहीं हटाने के सम्बन्ध में हाई कोर्ट में रिट 588809 के तहत वाद दायर किया। उक्त रिट में लीला का क्रमांक 55 है। हाई कोर्ट से विद्यार्थी मित्रों को नहीं हटाने सम्बन्धी आदेश मिलने के बाद राय सरकार ने विद्यार्थी मित्रों को एक जुलाई से सम्बन्धित विद्यालय में कार्यभार ग्रहण करवाने के निर्देश जारी किए। इसके बावजूद लीला दाधीच एक जुलाई को जब रामावि अरडकिया पहुंची तो संस्था प्रधान ने उसे कार्य भार ग्रहण करवाने से इनकार कर दिया। इस सम्बन्ध में लीला ने जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक से सम्पर्क किया तो उन्होंने संस्था प्रधान से अदालत आदेश पर कार्यभार ग्रहण करवाने के निर्देश दिए लेकिन संस्था प्रधान ने लीला को कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया। लीला के अनुसार अदालत के एक ही आदेश पर एक को कार्यभार ग्रहण करवाया जबकि दूसरे को नहीं करवाया जा रहा है। लीला ने बताया कि वह छह माह तक कार्यरत रही जबकि उसकी जगह लगाए गए विद्यार्थी मित्र ने मात्र चार माह तक ही कार्य किया।
इस सम्बन्ध में संस्था प्रधान निर्मल पारिक ने कहा कि विद्यालय में चार पद रिक्त थे। उन पर चारों विद्यार्थी मित्र ने कार्यभार ग्रहण कर लिया है। विद्यालय में पद रिक्त नहीं होने से लीला दाधीच को कार्यभार ग्रहण नहीं करवाया।
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