राजसमंद। उदयपुर संभाग में पर्यटन के क्षेत्र में विशेष पहचान रखने वाले राजसमंद जिले में पर्यटन सुधार के कार्यो पर राज्य सरकार ने अपरोक्ष रूप से पूर्ण विराम लगा दिया है। ऎसे में यहां के ऎतिहासिक महत्व के कुंभलगढ, प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप से जुडे हल्दीघाटी-खमनोर, तीर्थ नगरी नाथद्वारा-चारभुजाजी सहित सभी अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों पर आगामी तीन साल तक विकास कार्य नहीं हो सकेंगे।
हाल ही में सचिवालय जिला आयोजना समिति की ओर से जारी की गई सेक्टरवार वित्तीय प्रावधान रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें वर्ष 2007 से वर्ष 2012 तक चलने वाली 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत खर्च की जाने वाली राशि का उल्लेख किया गया है, लेकिन पूरी रिपोर्ट में पर्यटन विभाग का कहीं जिक्र ही नहीं है। उल्लेखनीय है कि नाथद्वारा, कुंभलगढ, खमनोर सहित अन्य पर्यटन महत्व के स्थलों को देखने के लिए हर वर्ष लाखों देसी-विदेशी सैलानी यहां पहुंचते हैं।
इनके लिएकरोडों का बजटआयोजना समिति की रिपोर्ट में 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 32990.89 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। कुल 16 सेक्टर के लिए जारी किए वित्तीय आंकडों में पर्यटन विकास और सुधार का न तो कहीं उल्लेख नहीं किया गया है और न राशि का प्रावधान किया गया है। उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट में जहां पेयजल के लिए 5233.04 लाख, सडक निर्माण के लिए 12751. 65 लाख, पोषाहार के लिए 1188.28 लाख, ग्रामीण विकास व पंचायती राज के लिए 3806. 37 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। वहीं वन, पशु पालन, स्थानीय निकाय, खाद्यान्न आदि के लिए लाखों रूपए बजट का प्रावधान है।
पर्यटन कार्यालय ही नहींमुख्यालय सहित जिले भर में पर्यटन विभाग का कोई कार्यालय ही नहीं है। सहायक पर्यटन अघिकारी का पद जरूर सृजित किया गया है। सैलानियों की सुरक्षा, आवागमन सहित तमाम कार्यो की ओर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं है। आरटीडीसी का कोई होटल भी नहीं है, ऎसे में पर्यटकों को महंगे होटलों में ठहरने के लिए मजबूर होना पडता है।
कौन लेगा सुधखमनोर में प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप का ऎतिहासिक राजमहल अपी हालत पर आंसू बहा रहा है तो चारभुजा जी में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की प्रस्तर प्रतिमा तीन वर्ष से खण्डित हो चुकी है। वहीं ऎतिहासिक और नायाब शिल्पकारी के प्रतीक मंदिरों का कोई धणीधोरी नहीं है।
जो था, सो हो गया पर्यटन विभाग की ओर से मेवाड कॉम्प्लेक्स योजना और मेवाड-वागड पर्यटन सर्किट योजना के तहत पिछले वर्षो के दौरान विकास कार्य चालू करवाए गए थे। दोनों योजनाओं के कार्य अब लगभग पूर्ण हो चुके हैं और वर्तमान में वर्तमान में पर्यटन विभाग के पास कोई नया प्रस्ताव नहीं है।
कार्य लगभग पूरे हो गएपर्यटन विभाग राज्य व केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के तहत कार्य करवाता है। हम प्रस्ताव बनाते हैं, लेकिन राशि सीधे नोडल एजेंसी (सार्वजनिक निर्माण विभाग अथवा अन्य) के पास आती है। राजसमंद जिले में नाथद्वारा, हल्दी घाटी, राजसमंद झील नौ चौकी पाल और कुंभलगढ आदि प्रमुख पर्यटन केन्द्र हैं। मेवाड-वागड पर्यटन सर्किट व मेवाड कॉम्प्लेक्स योजना के कार्य लगभग पूरे हो गए हैं। वर्तमान में कोई कार्य नहीं चल रहा है।विकास पण्ड्या, पर्यटन अघिकारी, उदयपुर-राजसमंद
हाल ही में सचिवालय जिला आयोजना समिति की ओर से जारी की गई सेक्टरवार वित्तीय प्रावधान रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है। इसमें वर्ष 2007 से वर्ष 2012 तक चलने वाली 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत खर्च की जाने वाली राशि का उल्लेख किया गया है, लेकिन पूरी रिपोर्ट में पर्यटन विभाग का कहीं जिक्र ही नहीं है। उल्लेखनीय है कि नाथद्वारा, कुंभलगढ, खमनोर सहित अन्य पर्यटन महत्व के स्थलों को देखने के लिए हर वर्ष लाखों देसी-विदेशी सैलानी यहां पहुंचते हैं।
इनके लिएकरोडों का बजटआयोजना समिति की रिपोर्ट में 11 वीं पंचवर्षीय योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 32990.89 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। कुल 16 सेक्टर के लिए जारी किए वित्तीय आंकडों में पर्यटन विकास और सुधार का न तो कहीं उल्लेख नहीं किया गया है और न राशि का प्रावधान किया गया है। उल्लेखनीय है कि रिपोर्ट में जहां पेयजल के लिए 5233.04 लाख, सडक निर्माण के लिए 12751. 65 लाख, पोषाहार के लिए 1188.28 लाख, ग्रामीण विकास व पंचायती राज के लिए 3806. 37 लाख रूपए का प्रावधान किया गया है। वहीं वन, पशु पालन, स्थानीय निकाय, खाद्यान्न आदि के लिए लाखों रूपए बजट का प्रावधान है।
पर्यटन कार्यालय ही नहींमुख्यालय सहित जिले भर में पर्यटन विभाग का कोई कार्यालय ही नहीं है। सहायक पर्यटन अघिकारी का पद जरूर सृजित किया गया है। सैलानियों की सुरक्षा, आवागमन सहित तमाम कार्यो की ओर ध्यान देने वाला भी कोई नहीं है। आरटीडीसी का कोई होटल भी नहीं है, ऎसे में पर्यटकों को महंगे होटलों में ठहरने के लिए मजबूर होना पडता है।
कौन लेगा सुधखमनोर में प्रात: स्मरणीय महाराणा प्रताप का ऎतिहासिक राजमहल अपी हालत पर आंसू बहा रहा है तो चारभुजा जी में देश के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू की प्रस्तर प्रतिमा तीन वर्ष से खण्डित हो चुकी है। वहीं ऎतिहासिक और नायाब शिल्पकारी के प्रतीक मंदिरों का कोई धणीधोरी नहीं है।
जो था, सो हो गया पर्यटन विभाग की ओर से मेवाड कॉम्प्लेक्स योजना और मेवाड-वागड पर्यटन सर्किट योजना के तहत पिछले वर्षो के दौरान विकास कार्य चालू करवाए गए थे। दोनों योजनाओं के कार्य अब लगभग पूर्ण हो चुके हैं और वर्तमान में वर्तमान में पर्यटन विभाग के पास कोई नया प्रस्ताव नहीं है।
कार्य लगभग पूरे हो गएपर्यटन विभाग राज्य व केंद्र प्रवर्तित योजनाओं के तहत कार्य करवाता है। हम प्रस्ताव बनाते हैं, लेकिन राशि सीधे नोडल एजेंसी (सार्वजनिक निर्माण विभाग अथवा अन्य) के पास आती है। राजसमंद जिले में नाथद्वारा, हल्दी घाटी, राजसमंद झील नौ चौकी पाल और कुंभलगढ आदि प्रमुख पर्यटन केन्द्र हैं। मेवाड-वागड पर्यटन सर्किट व मेवाड कॉम्प्लेक्स योजना के कार्य लगभग पूरे हो गए हैं। वर्तमान में कोई कार्य नहीं चल रहा है।विकास पण्ड्या, पर्यटन अघिकारी, उदयपुर-राजसमंद
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