देवगढ। सर्व शिक्षा अभियान अंतर्गत क्षेत्र के दर्जन भर राजकीय उ“ा प्राथमिक विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर खरीद के तहत भेजी गई ढालू डेस्कें स्कूल पहुंचते ही टूट गइंü। ऎसे में विद्यार्थियों को पुस्तकें जमीन में रख कर पढाई करना पड रही है।
विद्यालयों में डेस्कों की आपूर्ति राजसमंद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार लिमिटेड की ओर से की गई थी। प्रत्येक डेस्क पर एक हजार रूपए की लागत आई थी। मेजों में गुणवत्ता न होने की वजह से दो विद्यालयों ने वापस भिजवा दिया।
बिना देखे ही आपूर्ति के आदेशसर्व शिक्षा अभियान की ओर से राजसमंद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार लिमिटेड को विद्यालयों की सूची जारी कर उनमें मेजों की आपूर्ति के आदेश दिए गए। इस पर उपभोक्ता भंडार कर्मचारियों ने स्कूलों का दौरा किया और जिम्मेदारों ने उनसे बिना ढालू डेस्क देखे ही आपूर्ति के लिए कह दिया।
इन विद्यालयों में पहुंची ढालू डेस्कविद्यालयों से मिले निर्देश के बाद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार की ओर से क्षेत्र के सोहनगढ, लसानी, भारत सिंह का गुडा, नरदास का गुडा, गल्र्स स्कूल लसानी, ताल, माण्डावाडा, शक्करगढ, कुंडेली, कलालों की आंती, नीमझर तथा गल्र्स स्कूल देवगढ में ढालू डेस्कों की आपूर्ति की गई।
एक हजार की एक डेस्क थोक उपभोक्ता भंडार की ओर से स्कूलों में भेजी गई डेस्कों की कीमत प्रति डेस्क एक हजार रूपए लगाई गई। इसमें प्रत्येक डेस्क की कीमत 862.23 पैसे, इस पर 12.5 प्रतिशत वैट चार्ज और परिवहन भाडा वसूल किया गया। उपभोक्ता भंडार की ओर से सभी विद्यालयों में दरी-पट्टी (जाजम) भी आपूर्ति की गई हैं। जाजमों की दशा भी दयनीय है।
पुस्तकें जमीन परविद्यालयों में भेजी गई ढालू डेस्कें इतने घटिया स्तर की थीं कि ज्यादातर डेस्कें स्कूल में पहुंचने से पहले ही बेदम हो गइंü। स्थिति यह है कि बच्चों को किताब जमीन में रख कर पढाई करनी पड रही है। डेस्क के चारों ओर लोहे के हल्के एंगल लगे थे, जो ट्रक से उतारते समय ही टूट गए। वहीं कुछ डेस्कों के वैल्ड खुलने से वे स्कूलों में बेकार पडी हैं।
वापस हुइंंü डेस्केंस्कूलों में आई डेस्कों में गुणवत्ता न होने की वजह से स्थानीय दोलपुरा व विजयपुरा स्थित विद्यालयों से डेस्कें वापस भेज दी गईं, ऎसे में स्कूल में मेजों की कमी से बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है।
इनका कहना हैफर्नीचर के लिए जिला कार्यालय से विद्यालय विकास व प्रबंधन समिति को राशि जारी की गई है। खरीदारी के लिए समिति निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।कैलाशसिंह चौहान, खण्ड संदर्भ प्रभारी, सर्व शिक्षा अभियान देवगढ
एसडीएमसी क्रय समिति ने फर्नीचर का निरीक्षण कर घटिया बताया था। समिति ने ही इस फर्म से फर्नीचर नहीं खरीदने का निर्णय लिया। विद्यालय के लिए फर्नीचर समिति ने स्वयं बनवाया।राजेश शर्मा, प्रधानाध्यापक, विजयपुरा
गुणवत्ता वाला फर्नीचर नहीं था, इसलिए विद्यालय में आया फर्नीचर लौटाया गया।श्रवण कुमार शर्मा, प्रधानाध्यापक दौलपुरा
विद्यालयों में डेस्कों की आपूर्ति राजसमंद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार लिमिटेड की ओर से की गई थी। प्रत्येक डेस्क पर एक हजार रूपए की लागत आई थी। मेजों में गुणवत्ता न होने की वजह से दो विद्यालयों ने वापस भिजवा दिया।
बिना देखे ही आपूर्ति के आदेशसर्व शिक्षा अभियान की ओर से राजसमंद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार लिमिटेड को विद्यालयों की सूची जारी कर उनमें मेजों की आपूर्ति के आदेश दिए गए। इस पर उपभोक्ता भंडार कर्मचारियों ने स्कूलों का दौरा किया और जिम्मेदारों ने उनसे बिना ढालू डेस्क देखे ही आपूर्ति के लिए कह दिया।
इन विद्यालयों में पहुंची ढालू डेस्कविद्यालयों से मिले निर्देश के बाद सहकारी उपभोक्ता थोक भंडार की ओर से क्षेत्र के सोहनगढ, लसानी, भारत सिंह का गुडा, नरदास का गुडा, गल्र्स स्कूल लसानी, ताल, माण्डावाडा, शक्करगढ, कुंडेली, कलालों की आंती, नीमझर तथा गल्र्स स्कूल देवगढ में ढालू डेस्कों की आपूर्ति की गई।
एक हजार की एक डेस्क थोक उपभोक्ता भंडार की ओर से स्कूलों में भेजी गई डेस्कों की कीमत प्रति डेस्क एक हजार रूपए लगाई गई। इसमें प्रत्येक डेस्क की कीमत 862.23 पैसे, इस पर 12.5 प्रतिशत वैट चार्ज और परिवहन भाडा वसूल किया गया। उपभोक्ता भंडार की ओर से सभी विद्यालयों में दरी-पट्टी (जाजम) भी आपूर्ति की गई हैं। जाजमों की दशा भी दयनीय है।
पुस्तकें जमीन परविद्यालयों में भेजी गई ढालू डेस्कें इतने घटिया स्तर की थीं कि ज्यादातर डेस्कें स्कूल में पहुंचने से पहले ही बेदम हो गइंü। स्थिति यह है कि बच्चों को किताब जमीन में रख कर पढाई करनी पड रही है। डेस्क के चारों ओर लोहे के हल्के एंगल लगे थे, जो ट्रक से उतारते समय ही टूट गए। वहीं कुछ डेस्कों के वैल्ड खुलने से वे स्कूलों में बेकार पडी हैं।
वापस हुइंंü डेस्केंस्कूलों में आई डेस्कों में गुणवत्ता न होने की वजह से स्थानीय दोलपुरा व विजयपुरा स्थित विद्यालयों से डेस्कें वापस भेज दी गईं, ऎसे में स्कूल में मेजों की कमी से बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड रहा है।
इनका कहना हैफर्नीचर के लिए जिला कार्यालय से विद्यालय विकास व प्रबंधन समिति को राशि जारी की गई है। खरीदारी के लिए समिति निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।कैलाशसिंह चौहान, खण्ड संदर्भ प्रभारी, सर्व शिक्षा अभियान देवगढ
एसडीएमसी क्रय समिति ने फर्नीचर का निरीक्षण कर घटिया बताया था। समिति ने ही इस फर्म से फर्नीचर नहीं खरीदने का निर्णय लिया। विद्यालय के लिए फर्नीचर समिति ने स्वयं बनवाया।राजेश शर्मा, प्रधानाध्यापक, विजयपुरा
गुणवत्ता वाला फर्नीचर नहीं था, इसलिए विद्यालय में आया फर्नीचर लौटाया गया।श्रवण कुमार शर्मा, प्रधानाध्यापक दौलपुरा
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