Monday, July 13, 2009

बेहोशी में जिया गया पल इंसान को दरिंदा बना देता है : मुनि सुरेश कुमार

राजसमन्द। मुनि सुरेश कुमार हरनावां ने रविवारीय प्रवचनमाला के तहत ''जिए होश से' से विषय पर धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि महज सांस लेना ही जीवन नहीं होता, वो लोग हजारों डिग्रियां हासिल करके भी नाकारा होते है जो जीने की कला नहीं सीख पाते है। दुनिया में इंसान जीता है और दरिंदा भी। बेहोशी में जिया गया एक पल भी इंसान को दरिंदा बना देता है। उन्होंने कहा कि चाहे हम पांच मिनट ही जिये लेकिन होशोहवास में सांस को सरोकार देते हुए जियें। मुनि सम्बोध कुमार ने कहा कि जिंदगी कुदरत का एक नायाब तोहफा है। इसे मनचाहे जब खेलकर तोड़ने की नहीं सहेज कर जीने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुसीबते हर एक जिंदगी में आया करती है जो लोग मुस्कराते, गुनगुनाते हुए मुसीबतों का मुकाबला करते है। उनकी जिंदगी का लुत्फ नहीं उठा सकते। मुनि विनय रुचि ने गीत पेश किया।
प्रशिक्षक सम्मानित : जैन विश्व भारती मानद विश्व विद्यालय लाडनूं के राजसमंद सेंटर भिक्षु बोधि स्थल में संचालित हो रही कक्षाओं में प्रशिक्षण दे रहे प्रशिक्षक चतुर कोठारी, मुकेश वैष्णव, सुंदरलाल लोढ़ा, लता मादरेचा, डॉ. मदन सोनी, भंवर लाल कोठारी, जीतमल कच्छारा, श्रीमती पुष्पा वागरेचा ने शॉल अर्पित कर साहित्य भेंट कर सम्मानित किया। मंच संचालन शिक्षा प्रभारी श्रीमती मंजू दक ने किया।
तेरापंथ सभा लाम्बोड़ी : नवीन तेरापंथ सभा भवन में मुनि प्रसनन कुमार ने धर्म मुझे क्या देगा विषय पर प्रवचन देते हुए कहा कि आजकल धर्म को लेकर बहुत भ्रांतियां चलती है। कभी धर्म को सम्प्रदाय के रूप में बदल देते है। उससे भी लोग भटक जाते है। आज का धार्मिक यादातर धर्म और सम्प्रदाय को एक मानता है। भ्रांति को दूर करना जरूरी है। छिलका फल का तो सम्प्रदाय समझे और भीतर के गुदे रस को धर्म समझने वाला उलझेगा नहीं। मुनि ने कहा कि धर्म का काम दो ही है। कर्म रोकना और तोड़ना इसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं है। आत्मशुध्दि के इन उपायाें को ही धर्म कहते है। तेयपु के प्रकाश मेहता ने बताया कि मुनि संजय कुमार, मुनि प्रकाश कुमार ने समयोचित विषय पर प्रकाश डाला। मुनि रविकुमार ने गीतिका पेश की।

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