Monday, June 29, 2009

मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता स्वयं है : मुनि जतन कुमार

राजसमन्द। मनुष्य अपना विकास स्वयं कर सकता है, सफलता उनका ही वरण करती है जो अपना रास्ता स्वयं तैयार करते हैं। उक्त विचार मुनि जतन कुमार ने सोमवार को तेरापंथ भवन केलवा में चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान श्रावक-श्राविकाआें को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि परावलम्बी व्यक्ति सफलता के लिए सदैव मोहताज रहता है। उसी व्यक्ति ने विकस के सपनाें को मूर्त रूप दिया है, जो अपनी तकदीर स्वयं की स्वाही से लिखते हैं। भाग्य का सितारा उन्ही का चमकता है जिन्हें अपने पुरूषार्थ पर भरोसा रहता है।

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