Wednesday, June 24, 2009

स्वैच्छिक रक्तदान की जागरूकता पर ही रूकेगा खून का कारोबार

राजसमन्द। रक्तदान के प्रति भ्रांतियाें को दूर कर स्वैच्छिक रक्तदान के लिए जागरूक होकर आमजन को जब तक इस कार्य के लिए प्रेरित नहीं किया जाएगा तब तक खून की मांग एवं आपूर्ति में अन्तर बना रहेगा एवं इसी कारण इसके गलत कारोबार को बढावा मिल रहा है। यह कहना है भारतीय रेडक्रॉस सोसायटी जिला शाखा के मानद सचिव राजकुमार दक का जो पिछले कई वर्षर्ों से राजसमन्द जिले में रक्तदान जागरूकता कार्य से जुडकर रक्तदान करवा रहे हैं। जिले के आमेट, सरदारगढ, राजनगर, कुरज, कांकरोली, देवगढ, कुंवारिया आदि क्षेत्राें में विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाआें एवं छात्र संगठनाें के कार्यकर्ताआें को प्रेरित कर रक्तदान शिविर रेडक्रॉस सोसायटी द्वारा आयोजित किए जा रहे हैं वहीं नाथद्वारा क्षेत्र में महावीर इन्टरनेशनल एवं अन्य संस्थाएं इसके लिए सदेव प्रयासरत रही है। यही कारण है कि जिले के रोगियाें को रक्त के लिए विशेष परिस्थितियों के अलावा कोई परेशानी नहीं होती है। राय के अनेक क्षेत्राें में खून के कारोबार का भंडाफोड होने पर दक का कहना है कि इसके लिए रोगी के परिजन यादा दोषी है जो अपने ही परिवार के सदस्य के लिए रक्तदान नहीं कर उसके लिए इधर उधर भटकते रहते हैं और ऐन केन प्रकारेण रक्त जुटाने की कौशिश करते हैं। ऐसे में वे सही तरीके से रक्त प्राप्त नहीं कर पाते हैं। दक का कहना है कि आज जब सरकार स्वास्थ्य शिक्षा प्रचार पर करोडाें रुपए खर्च कर रही है ऐसे में गांव गांव ढाणी-ढाणी के लोगों को आशा सहयोगिनी, आंगनवाडी कार्यकर्ता, एएनएम, नर्सिंगकर्मी एवं चिकित्सा क्षेत्र जुडे लोगाें को प्रोत्साहित कर रक्तदान जागरूकता का कार्य सौंपे एवं उस क्षेत्र में कार्यरत स्वयंसेवी संस्थाओं के साथ जुडकर जिला मुख्यालय स्थित ब्लड बैंकों के लिए आवश्यक रक्त संग्रहण के लिए शिविर आयोजित करवाएं तो रक्त की कमी दूर हो सकेगी। दक बताते हैं कि उनका सपना है कि क्षेत्र के रोगियाें को आवश्यकता पडते ही तुरन्त एक बार बिना रिप्लेसमेंट के रक्त मिल जाए एवं तत्पश्चात वह स्वप्रेरित होकर पुन: रक्तदान करें। दक का कहना है कि अफसोस इस बात का है कि भ्रांतियाें के चलते ही पढे लिखे लोग तक रक्तदान से दूर हो जाते हैं। उनके पास अनेक अवसर ऐसे आए जब एक मां अपने एक बेटे के लिए दूसरे बेटे को रक्त नहीं देने देती है। वह कहती है कि चाहे जितने पेसे लग जाए पर रक्त इसे नहीं देने दूंगी। यही तरीका भाई के प्रति भाई का होता है। इसके विपरीत कई व्यक्ति ऐसे भी है जो हर समय किसी भी रोगी के लिए रक्तदान के लिए तत्पर रहते हैं। दक ने सरकार से मांग की है कि वह स्वैच्छिक रक्तदाताओं के लिए कोई प्रोत्साहन योजना लाकर उन्हें प्रेरित करें तो गलत तरीके से खून देने व प्राप्त करने पर रोक लग पाएगी।

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