राष्ट्रीय मंच के साहित्यकार का सम्मान
राजसमन्द। श्री द्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद कांकरोली के तत्वावधान मे आयोजित प्रभु श्री द्वारकाधीश के पाटोत्सव समारोह में राष्ट्रीय मंच के साहित्यकाराें का सम्मान किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व न्यायाधिपति डॉ बसन्तीलाल बाबेल ने कहा कि कविता की विधा अभिव्यक्ति की सबसे शक्तिशाली विधा है। कविता के माध्यम से कवि व्यक्ति, समाज और देश को बदल सकता है। कविता में विशेषता है कि वह निरस विषय को भी सरस बना देती है। समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलक्टर टीसी बोहरा थे तथा विशिष्ट अतिथि समाज सेवी किशोरसिंह मेडतिया थे।
समारोह का शुभारंभ अतिथियाें के द्वारा प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि व सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रवलन से हुआ। स्वागत सम्बोधन में संस्थापक फतहलाल गुर्जर अनोखा ने कहा कि आज प्रभु के पाटोत्सव समारोह में पांच राष्ट्रीय मंच के कवियाें को स्थानीय पुरोधा साहित्यकाराें की स्मृति ममें सम्मानित करते हुए हम गौरवान्वित है। साथ ही महाराणा राजसिंह एवं वल्लभ सम्प्रदाय की तृतीय पीठ के द्वारा राजसमन्द का पर्यावरण संरक्षण मेें योगदान पर एक पत्र वाचन कराया जा रहा है। पत्र वाचन लोक अधिकार मंच के राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह कछवाह ने प्रस्तुत किया। पत्र की प्रतियां सभी साहित्यकाराें, अतिथियाें व श्रोताआें को वितरण की गई।
प्रमुख साहित्यकार सम्मान में अरूणकान्त सांचीहर को स्व. दाम सदाम (कांकरोली) सम्मान, माधव दरक को स्व. केसरी सिंह बारहठ (सोन्याणा) सम्मान, अब्दुल जब्बार को स्व. कमाल शाह घायल (राजनगर) सम्मान, गिरीश विद्रोही नाथद्वारा को स्व. घनश्याम प्यारे (कांकरोली) सम्मान तथा पुरूषोतम पल्लव उदयपुर को स्व. मांगलाल अफंगी (धोइन्दा) सम्मान तिलक, श्रीफल, इकलाई, शाल, स्मृति चिन्ह, प्रसाद से टीसी बोहरा, डॉ बाबेल, नरेन्द्र सिंह कछवाहा, संस्था सचिव सूर्यप्रकाश दीक्षित, कमल यादव, किशोर सिंह मेडतिया, भला बंशीवाल आदि ने सम्मानित किया। संस्थापक फतहलाल अनोखा ने कवियाें को प्रशस्ति पत्र तथा प्रत्येक को 500 रुपए की नकद राशि से नवाजा।
इस अवसर पर अरूणकान्त उस्ताद ने शून्य ही आरोह स्वर का .., माधव दरक ने मायड वो थारा पूत कठे.., कवि अब्दुल जब्बार ने उजाले कर दे जीवन में .., गिरीश विद्रोही ने राज राणाजी थारे नाम.. प्रस्तुत कर श्रोताआें से वाहवाही लूटी। समारोह में पुरूषोत्तम पल्लव, प्रो. रफीक नागौरी, दिनेश सनाढय ने भी प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि टीसी बोहरा ने राजसमन्द झील पर रची राजसमन्द झील नाम है मेरा, जल जीवन देना काम है मेरा प्रस्तुत कर संभागियों का दिल जीत लिया। समारोह का संचालन मनोहर गिरी गोस्वामी ने किया।
राजसमन्द। श्री द्वारकेश राष्ट्रीय साहित्य परिषद कांकरोली के तत्वावधान मे आयोजित प्रभु श्री द्वारकाधीश के पाटोत्सव समारोह में राष्ट्रीय मंच के साहित्यकाराें का सम्मान किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए पूर्व न्यायाधिपति डॉ बसन्तीलाल बाबेल ने कहा कि कविता की विधा अभिव्यक्ति की सबसे शक्तिशाली विधा है। कविता के माध्यम से कवि व्यक्ति, समाज और देश को बदल सकता है। कविता में विशेषता है कि वह निरस विषय को भी सरस बना देती है। समारोह के मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलक्टर टीसी बोहरा थे तथा विशिष्ट अतिथि समाज सेवी किशोरसिंह मेडतिया थे।
समारोह का शुभारंभ अतिथियाें के द्वारा प्रभु श्री द्वारकाधीश की छवि व सरस्वती माता के समक्ष दीप प्रवलन से हुआ। स्वागत सम्बोधन में संस्थापक फतहलाल गुर्जर अनोखा ने कहा कि आज प्रभु के पाटोत्सव समारोह में पांच राष्ट्रीय मंच के कवियाें को स्थानीय पुरोधा साहित्यकाराें की स्मृति ममें सम्मानित करते हुए हम गौरवान्वित है। साथ ही महाराणा राजसिंह एवं वल्लभ सम्प्रदाय की तृतीय पीठ के द्वारा राजसमन्द का पर्यावरण संरक्षण मेें योगदान पर एक पत्र वाचन कराया जा रहा है। पत्र वाचन लोक अधिकार मंच के राष्ट्रीय महासचिव नरेन्द्र सिंह कछवाह ने प्रस्तुत किया। पत्र की प्रतियां सभी साहित्यकाराें, अतिथियाें व श्रोताआें को वितरण की गई।
प्रमुख साहित्यकार सम्मान में अरूणकान्त सांचीहर को स्व. दाम सदाम (कांकरोली) सम्मान, माधव दरक को स्व. केसरी सिंह बारहठ (सोन्याणा) सम्मान, अब्दुल जब्बार को स्व. कमाल शाह घायल (राजनगर) सम्मान, गिरीश विद्रोही नाथद्वारा को स्व. घनश्याम प्यारे (कांकरोली) सम्मान तथा पुरूषोतम पल्लव उदयपुर को स्व. मांगलाल अफंगी (धोइन्दा) सम्मान तिलक, श्रीफल, इकलाई, शाल, स्मृति चिन्ह, प्रसाद से टीसी बोहरा, डॉ बाबेल, नरेन्द्र सिंह कछवाहा, संस्था सचिव सूर्यप्रकाश दीक्षित, कमल यादव, किशोर सिंह मेडतिया, भला बंशीवाल आदि ने सम्मानित किया। संस्थापक फतहलाल अनोखा ने कवियाें को प्रशस्ति पत्र तथा प्रत्येक को 500 रुपए की नकद राशि से नवाजा।
इस अवसर पर अरूणकान्त उस्ताद ने शून्य ही आरोह स्वर का .., माधव दरक ने मायड वो थारा पूत कठे.., कवि अब्दुल जब्बार ने उजाले कर दे जीवन में .., गिरीश विद्रोही ने राज राणाजी थारे नाम.. प्रस्तुत कर श्रोताआें से वाहवाही लूटी। समारोह में पुरूषोत्तम पल्लव, प्रो. रफीक नागौरी, दिनेश सनाढय ने भी प्रस्तुति दी। मुख्य अतिथि टीसी बोहरा ने राजसमन्द झील पर रची राजसमन्द झील नाम है मेरा, जल जीवन देना काम है मेरा प्रस्तुत कर संभागियों का दिल जीत लिया। समारोह का संचालन मनोहर गिरी गोस्वामी ने किया।
No comments:
Post a Comment