राजसमन्द। जिले के आमेट क्षेत्र के लावासरदारगढ कस्बे में करीब सात वर्ष पूर्व एक दुकान में बिना लाइसेंस, अपमिश्रित सामग्री एवं मिस ब्राण्ड रखने के मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई करते हुए दुकानदार को अपमिश्रित सामग्री के मामले से बरी कर दिया जबकि जिला एवं सेशन न्यायाधीश ने अधीनस्थ अदालत द्वारा मिस ब्राण्ड एवं बिना लाइसेंस पर दिए गए दण्डादेश को अपास्त करते हुए एक हजार रुपए का अर्थदण्ड दिया।
अधिवक्ता सुनील बोहरा ने बताया कि खाद्य निरीक्षक राजेन्द्र दत्त शर्मा ने 13 मई 02 को लावासरदारगढ कस्बे में महावीर आईस कोल्ड ड्रिंक पर शीतल पेय नवरस ब्राण्ड में मिलावट की आशंकावश उसका सेम्पल लिया। दुकानदार श्यामलाल पुत्र लेहरूदास वैष्णव के पास सामग्री बेचने का लाइसेंस भी नहीं था तथा परीक्षण में सामग्री अपमिश्रित एवं मिस ब्राण्ड पाई गई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस मामले में दोनों पक्ष की पैरवी सुनने के उपरांत मिस ब्राण्ड एवं बिना लाइसेंस सामग्री बेचने पर तीन-तीन माह की कैद एवं पांच-पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड दिया जबकि श्यामलाल के खिलाफ खाद्य अपमिश्रण का मामला इसलिए साबित नहीं हुआ क्योंकि पब्लिक एनालिस्ट की रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया कि सेम्पल में सुकरोश की मात्रा 3.46 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख किया गया कि उक्त पेय पदार्थ मानव उपभोग के लिए उपयुक्त था।
दण्डादेश से व्यथित होकर श्यामलाल ने जिला एवं सेशन न्यायालय में अपील पेश की जिस पर अदालत ने सम्पूर्ण विवेचन करते हुए श्यामलाल को अदालत उठने तक तथा पांच-पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड दिया। श्यामलाल की ओर से पैरवी अधिवक्ता सुनील बोहरा ने की।
अधिवक्ता सुनील बोहरा ने बताया कि खाद्य निरीक्षक राजेन्द्र दत्त शर्मा ने 13 मई 02 को लावासरदारगढ कस्बे में महावीर आईस कोल्ड ड्रिंक पर शीतल पेय नवरस ब्राण्ड में मिलावट की आशंकावश उसका सेम्पल लिया। दुकानदार श्यामलाल पुत्र लेहरूदास वैष्णव के पास सामग्री बेचने का लाइसेंस भी नहीं था तथा परीक्षण में सामग्री अपमिश्रित एवं मिस ब्राण्ड पाई गई। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने इस मामले में दोनों पक्ष की पैरवी सुनने के उपरांत मिस ब्राण्ड एवं बिना लाइसेंस सामग्री बेचने पर तीन-तीन माह की कैद एवं पांच-पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड दिया जबकि श्यामलाल के खिलाफ खाद्य अपमिश्रण का मामला इसलिए साबित नहीं हुआ क्योंकि पब्लिक एनालिस्ट की रिपोर्ट में इसका उल्लेख किया गया कि सेम्पल में सुकरोश की मात्रा 3.46 प्रतिशत थी। रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख किया गया कि उक्त पेय पदार्थ मानव उपभोग के लिए उपयुक्त था।
दण्डादेश से व्यथित होकर श्यामलाल ने जिला एवं सेशन न्यायालय में अपील पेश की जिस पर अदालत ने सम्पूर्ण विवेचन करते हुए श्यामलाल को अदालत उठने तक तथा पांच-पांच सौ रुपए का अर्थदण्ड दिया। श्यामलाल की ओर से पैरवी अधिवक्ता सुनील बोहरा ने की।
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