राजसमन्द। प्रज्ञापर्व समारोह के दूसरे दिन एक दिवसीय प्रेक्षाध्यान जीवन विज्ञान शिविर गांधी सेवा सदन में मुनि जतनमल एवं मुनि सुरेश कुमार के सान्निध्य में सम्पन्न हुआ। शिविर के मुख्य अतिथि अणुव्रत महासमिति के अध्यक्ष डॉ महेन्द्र कर्णावट थे। डॉ कर्णावट ने शिविरार्थियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रेक्षाध्यान के माध्यम से हम स्वयं से साक्षात्कार करते हैं तो जीवन विज्ञान के द्वारा हम जीवन को जीने की कलाएं सीखते हैं। आचार्य महाप्रज्ञ ने जीवन विज्ञान के माध्यम से हमें नया दर्शन दिया है जो समाज एवं राष्ट्र निर्माण की आधार शिला है। शिविर में 45 संगागीगण थे। जिन्हें महाप्राण ध्वनि, चैतन्य केन्द्र प्रज्ञा, कायोत्सर्ग, अनुप्रेक्षा, मुद्रा विज्ञान, ध्यान का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया गया। मुनि आनंद कुमार, मुनि संबोध कुमार, मुनि सुरेश कुमार, देवीलाल कोठारी ने हंसने की कला का प्रशिक्षण दिया। डॉ महेन्द्र कर्णावट ने संतुलित आहार की विशद विवेचना की।
मुनि जतनमल ने कहा कि प्रेक्षाध्यान स्वयं से पहचान का मार्ग है जिससे एकाग्रता बढती है और मानसिक शांति मिलती है। ध्यान हमें विनय की दिशा में ले जाता है। शिविर में देवीलाल कोठारी, मोहनलाल पुरोहित, गणेशलाल बडाला, मोहनलाल लोधा, ब्रजेश वर्मा, पूरणमल सागर, जतनमल मालू, मनोहरलाल वागरेचा, लाड मेहता, पुष्पा कर्णावट, कांता बडोला, सीमा धोका, सुशीला बडाला, कल्पना कर्णावट, सुशीला सागर, पुष्पा वागरेचा उपस्थित थे। शिविर व्यवस्था में आबिद अली, जयप्रकाश, राजेश सनाढय का सहयोग रहा।
मुनि जतनमल ने कहा कि प्रेक्षाध्यान स्वयं से पहचान का मार्ग है जिससे एकाग्रता बढती है और मानसिक शांति मिलती है। ध्यान हमें विनय की दिशा में ले जाता है। शिविर में देवीलाल कोठारी, मोहनलाल पुरोहित, गणेशलाल बडाला, मोहनलाल लोधा, ब्रजेश वर्मा, पूरणमल सागर, जतनमल मालू, मनोहरलाल वागरेचा, लाड मेहता, पुष्पा कर्णावट, कांता बडोला, सीमा धोका, सुशीला बडाला, कल्पना कर्णावट, सुशीला सागर, पुष्पा वागरेचा उपस्थित थे। शिविर व्यवस्था में आबिद अली, जयप्रकाश, राजेश सनाढय का सहयोग रहा।
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