राजसमन्द। शिक्षकाें व माता कार् कत्तव्य है कि वे बच्चाें में अच्छे चरित्र व सुसंस्काराें का निर्माण करें। बच्चों को भी अपनी प्रगति व विकास के लिए मनन व आचरण पर ध्यान देना होगा। यह विचार मुनि आनन्द कुमार ने तेरापंथ भवन केलवा में तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान एवं मुनि जतन कुमार के सान्निध्य में आयोजित साप्ताहिक सगोष्ठी में व्यक्त किए। मुनि ने बच्चाें व महिलाआें तथा कन्याआें से ज्ञान की योति को ह्दय में सदा प्रवलित रखने का आह्वान किया। उन्होने कहा कि जीवन में सुसंस्काराें की आग में स्वयं को जीतना तपाओगे उतने ही निखरते जाओगे। मुनि ने कहा कि संसार में चार प्रकार के महाविद्यालय हैं। पहले की प्रधानता माता, दूसरे की पिता, तीसरे का शिक्षक तथा चौथे महाविद्यालय के प्रधान संत है। चाराें महाविद्यालयाें में संस्काराें की गढाई, शिक्षा, व्यावहारिक ज्ञान व अध्यात्म की योति मिलती है।
गोष्ठी का शुभारंभ महिला मंडल द्वारा जागो बहनाें व प्रभात गीत से हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष रेखा सिंघवी, मंत्री रेखा कोठारी व लक्ष्मी देवी मेहता ने भी विचार व्यक्त किए। रेखा कोठारी ने बताया कि मुनि आनंद कुमार व देवीलाल कोठारी द्वारा अहम जप, महाप्राण ध्वनि, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा मुद्रा, विज्ञान, दैनिक जीवन में प्राणायाम, कायोत्सर्ग, संतुलित आहार, अनुप्रेक्षा, अंतर्यात्रा आदि का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
गोष्ठी का शुभारंभ महिला मंडल द्वारा जागो बहनाें व प्रभात गीत से हुआ। इस अवसर पर अध्यक्ष रेखा सिंघवी, मंत्री रेखा कोठारी व लक्ष्मी देवी मेहता ने भी विचार व्यक्त किए। रेखा कोठारी ने बताया कि मुनि आनंद कुमार व देवीलाल कोठारी द्वारा अहम जप, महाप्राण ध्वनि, चैतन्य केन्द्र प्रेक्षा मुद्रा, विज्ञान, दैनिक जीवन में प्राणायाम, कायोत्सर्ग, संतुलित आहार, अनुप्रेक्षा, अंतर्यात्रा आदि का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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