कुंभलगढ। किसी भी दावत, पार्टी या खाने में इमली की चटनी का नाम सुनते ही मुंह मे पानी भर आता है। यदि किसी भी चटनी में अगर इमली को नहीं मिलाया जाए तो उसके स्वाद में जायका ढूंढने से भी नहीं मिलता। चटनी, चाट, फॉस्ट फुड की बात चले तो इमली का जिक्र जरूर होगा।
इस बार भी कुंभलगढ क्षेत्र में चटपटे खट्टे-मीठे स्वाद वाले जायके की रानी इमली की पैदावार बहुतायात मात्रा में हुई है। पेड इमलियों से लकदक हैं, वहीं किसान इनके पकने का इन्तजार कर रहे हैं। इनके पकते ही यहां के थोक व्यापारी क्षेत्र के विक्रेताओं से खरीद कर आढतियों के माध्यम से बाहरी मंडियों मे बेचने का कार्य करते हैं।
जानकारों के मुताबिक क्षेत्र की इमली राज्य के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी जाती है। कुंभलगढ की प्राकृतिक पैदावार में जामुन, आम, सीताफल, खीरा, धनिया, कद्दू, बेर, गन्ना, रजनजोत व इमली का नाम आता है। किसान पानी की कमी के चलते इन प्राकृतिक फलों व अन्य फसलों का खुल कर फायदा नहीं ले पा रहे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों ने सरकार से क्षेत्र की फसलों को उचित संरक्षण तथा सरकारी सहायता मुहैया कराने की मांग की है।
इस बार भी कुंभलगढ क्षेत्र में चटपटे खट्टे-मीठे स्वाद वाले जायके की रानी इमली की पैदावार बहुतायात मात्रा में हुई है। पेड इमलियों से लकदक हैं, वहीं किसान इनके पकने का इन्तजार कर रहे हैं। इनके पकते ही यहां के थोक व्यापारी क्षेत्र के विक्रेताओं से खरीद कर आढतियों के माध्यम से बाहरी मंडियों मे बेचने का कार्य करते हैं।
जानकारों के मुताबिक क्षेत्र की इमली राज्य के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र सहित अन्य राज्यों में भी जाती है। कुंभलगढ की प्राकृतिक पैदावार में जामुन, आम, सीताफल, खीरा, धनिया, कद्दू, बेर, गन्ना, रजनजोत व इमली का नाम आता है। किसान पानी की कमी के चलते इन प्राकृतिक फलों व अन्य फसलों का खुल कर फायदा नहीं ले पा रहे हैं। क्षेत्रीय नागरिकों ने सरकार से क्षेत्र की फसलों को उचित संरक्षण तथा सरकारी सहायता मुहैया कराने की मांग की है।
No comments:
Post a Comment