Monday, February 15, 2010

नई हवेली में बिराजे गोवर्द्धननाथ

नाथद्वारा। धर्मनगरी की विस्तार योजना के तहत धार्मिक स्थलों के स्थान परिवर्तन की कवायद सोमवार के दिन मूर्त रूप ले पाई। अवसर था, गुर्जरपुरा के प्राचीन दरवाजे के समीप वर्षो से विराजमान गोवर्द्धननाथजी (लालाजी) के नवीन हवेली में विराजमान होने का मंदिर के मुखिया ललित वैरागी ने वैष्णव स्वरूप को छैली सेवा धराई और सुबह नौ बजे श्ृंगारित लालजी को जरी के वस्त्रों से रूपांकित सुखपाल में विराजमान कराया गया।
ठाकुरजी के द्वार गुर्जरपुरा के बाशिन्दों के साथ समाज के लोग एवं गुजराती वैष्णवजन भी लालाजी की शोभायात्रा में सम्मिलित हुए। बैण्ड की मंगल स्वर लहरियों के साथ लालाजी के स्थल से शुरू हुई शोभायात्रा में बृजवासी संस्कृति खूब मुखरित हुई। धोती बगलबण्डी व वृन्दावनी टोपी के साथ केसरिया उपरणा पहने श्रद्धालु गिरिराज धरण के जैकारे लगाते रहे और जगह-जगह नगरवासियों ने पुष्प वर्षा कर लालाजी के दर्शन किए।
गुर्जरपुरा से रवाना होकर शोभायात्रा पिंजाराघाटी होती हुई बडा बाजार, मंदिर परिक्रमा कर नया बाजार होती हुई लाल दरवाजे से सीधी ठाकुरजी के द्वार पहंुची। ठाकुरजी का जैकारा लगाकर शोभायात्रा मंदिर मार्ग होकर चौपाटी पहुंची जहां व्यापारियों ने फल फूल व भेंट प्रसाद चढाकर लालाजी का जैकारा लगाया। इस अवसर पर नगर की श्रीवल्लभ संगीत मण्डली के गायकों ने ढोलक व झांझ के साथ भजन गान कर सभी को रससिक्त किया। उपस्थित वैष्णव श्रद्धालुओं ने भी भजन गान के साथ नृत्य का आनंद लिया।
पीठाधीश ने उतारी आरतीगोवर्घननाथजी की सुसज्जित नई हवेली में प्राकट्य स्वरूप को ठाठ बाट से विराजमान कराया गया। मंदिर के पुरोहित के.के. पण्ड्या के साथ ही बच्चू महाराज, शंकर व मुकेश उपाध्याय, अक्षय तथा चन्द्रशेखर ने विवि विधानपूर्ण पाट पर थापना की। इस अवसर पर श्रीकृष्ण भण्डार के अघिकारी सुधाकर उपाध्याय व सौभाग्यमल सिंघवी आदि उपस्थित थे। इसके उपरांत वल्लभ पीठाधीश गोस्वामी तिलकायत राकेश महाराज एवं विशाल बावा ने गोवर्द्धननाथजी के स्वरूप को गुलाल अबीर से फाग खिलाया और आरती की सेवा धराई।

No comments: