गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे की तुलना पाकिस्तानी आतंकवादियों से करना ठीक नहीं है। शिवसेना और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना जैसे संगठनों से उनके गुण-दोष के आधार पर सख्ती से निपटा जाएगा। आंतरिक सुरक्षा पर मुख्यमंत्रियों की बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में चिदंबरम से पूछा गया कि जिस तरह लश्कर-ए-तैबा के मुखिया हाफिज सईद और हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाहुद्दीन से निपटने का ऐलान सरकार ने किया है, क्या उसी तरह ठाकरे जैसे नेताओं से भी निपटा जाएगा? इसके जवाब में गृह मंत्री ने कहा कि ठाकरे की तुलना सईद और सलाहुद्दीन से करना अनुचित है। हमें उम्मीद है ऐसे संगठनों के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार कड़े कदम उठाएगी। गुजकोक नामंजूर : गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गनाइज्ड क्राइम (गुजकोक) को हरी झंडी देने की मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की मांग को ठुकराते हुए चिदंबरम ने कहा है कि हम किसी राज्य के ऐसे कानून को इजाजत नहीं दे सकते जो संसद की भावना के खिलाफ हो।
मोदी बार-बार यह दलील दे रहे हैं कि जब महाराष्ट्र में मकोका को अनुमति दी जा चुकी है तो गुजरात को क्यों नहीं। लेकिन जब मकोका को हरी झंडी दी गई थी, तब देश में पोटा लागू था। अब पोटा को खत्म किया जा चुका है, ऐसे में केंद सरकार गुजकोक पर दस्तखत करने की राष्ट्रपति से सिफारिश नहीं कर सकती। गुजकोक में भी ऐसे प्रावधान है, जो पोटा में थे और जिनके आधार पर उसे निरस्त किया गया था। बता दें कि गुजकोक को मंजूरी न दिए जाने पर मोदी ने अपने भाषण के दौरान सख्त नाराजगी जताई थी। कसाब कमजोरी नहीं : एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 26/11 अटैक मामले के आरोपी अजमल कसाब को सीधे सजा देने के बजाय निष्पक्ष अदालत में मुकदमा चलाकर और उसे अपना पक्ष रखने का मौका देकर हमने दिखाया है कि भारत एक सभ्य देश है और यहां कानून का शासन चलता है। यह हमारी कमजोरी नहीं, मजबूती का उदाहरण है। आतंकवादी हरकतें करने वालों को पहले भी मुकदमे चलाकर सजा दी गई हैं, कसाब के मामले में भी ऐसा ही होगा।
मोदी बार-बार यह दलील दे रहे हैं कि जब महाराष्ट्र में मकोका को अनुमति दी जा चुकी है तो गुजरात को क्यों नहीं। लेकिन जब मकोका को हरी झंडी दी गई थी, तब देश में पोटा लागू था। अब पोटा को खत्म किया जा चुका है, ऐसे में केंद सरकार गुजकोक पर दस्तखत करने की राष्ट्रपति से सिफारिश नहीं कर सकती। गुजकोक में भी ऐसे प्रावधान है, जो पोटा में थे और जिनके आधार पर उसे निरस्त किया गया था। बता दें कि गुजकोक को मंजूरी न दिए जाने पर मोदी ने अपने भाषण के दौरान सख्त नाराजगी जताई थी। कसाब कमजोरी नहीं : एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि 26/11 अटैक मामले के आरोपी अजमल कसाब को सीधे सजा देने के बजाय निष्पक्ष अदालत में मुकदमा चलाकर और उसे अपना पक्ष रखने का मौका देकर हमने दिखाया है कि भारत एक सभ्य देश है और यहां कानून का शासन चलता है। यह हमारी कमजोरी नहीं, मजबूती का उदाहरण है। आतंकवादी हरकतें करने वालों को पहले भी मुकदमे चलाकर सजा दी गई हैं, कसाब के मामले में भी ऐसा ही होगा।
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