राजसमंद। पूर्व सिंचाई मंत्री सुरेन्द्रसिंह राठौड के खिलाफ न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम वर्ग) ने बलवा करने, आपराधिक गृह अतिचार करने, भयाक्रांत करने के उद्देश्य से बल प्रदर्शन करने आदि के मामले में प्रसंज्ञान लेकर समन जारी करने का आदेश दिया। हालांकि समन अभी जारी होना बाकी है।
उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी, 2007 को परिवादी योगेन्द्रसिंह ने प्रस्तुत परिवाद में बताया कि वह छह-सात वर्षो से कुंदनसिंह की खदान पर कार्य करता है। करीब एक वर्ष से सुरेन्द्रसिंह राठौड व कुंदनसिंह के बीच निर्झरना स्थित खनन पट्टे को लेकर न्यायालय में विवाद चल रहे थे। 24 नवम्बर, 2006 को परिवादी योगेन्द्रसिंह जयपुर गया। परिवाद में आरोप है कि पीछे से तत्कालीन मंत्री सुरेन्द्रसिंह, गोविंदसिंह सारंगदेवोत, ज्ञानेन्द्रसिंह, भंवरसिंह व शिवराजसिंह आदि नशे में धुत्त होकर परिवादी के घर में घुसे व परिवादी की पत्नी व उनके बच्चों के साथ अपशब्दों का प्रयोग किया। साथ ही उन्हें धमकाया और राजसमंद व आमेट छोडकर नहीं जाने पर जान से मारने की धमकी दी।
न्यायालय ने परिवादी के गवाहों के बयान कलमबद्ध करने के बाद परिवाद को जांच के लिए पुलिस थाना आमेट भेज दिया। थाने की ओर से बनाई गई जांच रिपोर्ट को दबाव में आकर झूठी बताते हुए परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विरोध याचिका पेश की। न्यायालय ने आरोपियों पूर्व मंत्री सुरेन्द्रसिंह, गोविंदसिंह, भंवरसिंह, शिवराज सिंह व ज्ञानेन्द्रसिंह के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 448 व 506 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध साबित मानते हुए प्रसंज्ञान लिया और समन जारी करने के आदेश दिए।
उल्लेखनीय है कि 13 फरवरी, 2007 को परिवादी योगेन्द्रसिंह ने प्रस्तुत परिवाद में बताया कि वह छह-सात वर्षो से कुंदनसिंह की खदान पर कार्य करता है। करीब एक वर्ष से सुरेन्द्रसिंह राठौड व कुंदनसिंह के बीच निर्झरना स्थित खनन पट्टे को लेकर न्यायालय में विवाद चल रहे थे। 24 नवम्बर, 2006 को परिवादी योगेन्द्रसिंह जयपुर गया। परिवाद में आरोप है कि पीछे से तत्कालीन मंत्री सुरेन्द्रसिंह, गोविंदसिंह सारंगदेवोत, ज्ञानेन्द्रसिंह, भंवरसिंह व शिवराजसिंह आदि नशे में धुत्त होकर परिवादी के घर में घुसे व परिवादी की पत्नी व उनके बच्चों के साथ अपशब्दों का प्रयोग किया। साथ ही उन्हें धमकाया और राजसमंद व आमेट छोडकर नहीं जाने पर जान से मारने की धमकी दी।
न्यायालय ने परिवादी के गवाहों के बयान कलमबद्ध करने के बाद परिवाद को जांच के लिए पुलिस थाना आमेट भेज दिया। थाने की ओर से बनाई गई जांच रिपोर्ट को दबाव में आकर झूठी बताते हुए परिवादी ने अधिवक्ता के माध्यम से विरोध याचिका पेश की। न्यायालय ने आरोपियों पूर्व मंत्री सुरेन्द्रसिंह, गोविंदसिंह, भंवरसिंह, शिवराज सिंह व ज्ञानेन्द्रसिंह के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 147, 448 व 506 के तहत प्रथम दृष्टया अपराध साबित मानते हुए प्रसंज्ञान लिया और समन जारी करने के आदेश दिए।
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