राजसमन्द। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल के तत्वावधान में भिक्षु बोघिस्थल राजनगर में आयोजित दो दिवसीय मेवाड स्तरीय परिवार सशक्तीकरण प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को प्रथम सत्र में 'लाएं परिवार में खुशियों की बहार' विषय पर चर्चा हुई।
कार्यशाला में साध्वी विद्यावती द्वितीय ने कहा कि परिवार में एक-दूसरे के ह्वदय में आपसी विश्वास है तो विकास निश्चित है। रिश्तों में मिठास लाने के लिए एक दूसरे का सहयोग आवश्यक है।प्रत्येक सदस्य कार्य में साधक बनें, अडचनें पैदा न करें तो परिवार में मधुरता का माहौल बन जाता है।
साध्वी प्रियवंदा ने कहा कि आजकल पारिवारिक रिश्ते कमजोर होते जा रहे हैं, जबकि दोस्ती के रिश्ते मजबूत होते जा रहे हैं। यद्यपि दोस्ती के रिश्ते भी अपनी जगह हैं, लेकिन पारिवारिक रिश्तों के अभाव में जीवन अपूर्ण है। परिवार में कहना, सहना, नमना और रहना जो व्यक्ति सीख जाता है, उसके परिवार में खुशियों की बहारों का बगीचा खिल जाता है।
महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कनक बरमेचा ने महिलाओं का आह्वान किया कि वे परिवार के साथ जुडकर रिश्तों को निभाते हुए आगे बढें। उन्होंने स्लाइड शो के माध्यम से सम्बन्धों की डोर कमजोर होने के कारणों पर प्रकाश डाला। साध्वी प्रेरणाश्री ने वन्दे जिनेन्द्रम गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी प्रियवन्दा ने कहा कि व्यक्ति को कोई परेशान नहीं करता है, अपितु वह स्वयं अपनी वृत्तियों से परेशान रहता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय सहमंत्री मंजू वैद ने कहा कि हम अपनी सोच को बदलें, सम्यक सोच सम्यक परिणाम का हेतु बनता है और नकारात्मक विचार दुष्परिणाम को निमंत्रण देता है।
प्रेक्षा प्रशिक्षक विनोद बोहरा ने ध्यान का प्रयोग करवाया। महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन विजयादेवी डूंगरवाल ने किया। महिला मण्डल अध्यक्षा मंजू बडोला, कन्या मण्डल प्रभारी लता मादरेचा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन मंत्री मंजू दक एवं रितु धोका ने किया। आभार मंजू शोभावत ने ज्ञापित किया। इससे पूर्व सोमवार रात्रि को आयोजित चिंतन सत्र में शिक्षाविद् चतुर कोठारी ने प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।
कार्यशाला में साध्वी विद्यावती द्वितीय ने कहा कि परिवार में एक-दूसरे के ह्वदय में आपसी विश्वास है तो विकास निश्चित है। रिश्तों में मिठास लाने के लिए एक दूसरे का सहयोग आवश्यक है।प्रत्येक सदस्य कार्य में साधक बनें, अडचनें पैदा न करें तो परिवार में मधुरता का माहौल बन जाता है।
साध्वी प्रियवंदा ने कहा कि आजकल पारिवारिक रिश्ते कमजोर होते जा रहे हैं, जबकि दोस्ती के रिश्ते मजबूत होते जा रहे हैं। यद्यपि दोस्ती के रिश्ते भी अपनी जगह हैं, लेकिन पारिवारिक रिश्तों के अभाव में जीवन अपूर्ण है। परिवार में कहना, सहना, नमना और रहना जो व्यक्ति सीख जाता है, उसके परिवार में खुशियों की बहारों का बगीचा खिल जाता है।
महिला मण्डल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कनक बरमेचा ने महिलाओं का आह्वान किया कि वे परिवार के साथ जुडकर रिश्तों को निभाते हुए आगे बढें। उन्होंने स्लाइड शो के माध्यम से सम्बन्धों की डोर कमजोर होने के कारणों पर प्रकाश डाला। साध्वी प्रेरणाश्री ने वन्दे जिनेन्द्रम गीतिका प्रस्तुत की। साध्वी प्रियवन्दा ने कहा कि व्यक्ति को कोई परेशान नहीं करता है, अपितु वह स्वयं अपनी वृत्तियों से परेशान रहता है। इस अवसर पर राष्ट्रीय सहमंत्री मंजू वैद ने कहा कि हम अपनी सोच को बदलें, सम्यक सोच सम्यक परिणाम का हेतु बनता है और नकारात्मक विचार दुष्परिणाम को निमंत्रण देता है।
प्रेक्षा प्रशिक्षक विनोद बोहरा ने ध्यान का प्रयोग करवाया। महाश्रमणी साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन विजयादेवी डूंगरवाल ने किया। महिला मण्डल अध्यक्षा मंजू बडोला, कन्या मण्डल प्रभारी लता मादरेचा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन मंत्री मंजू दक एवं रितु धोका ने किया। आभार मंजू शोभावत ने ज्ञापित किया। इससे पूर्व सोमवार रात्रि को आयोजित चिंतन सत्र में शिक्षाविद् चतुर कोठारी ने प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया।
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