Wednesday, February 10, 2010

'कविता की भूमिका बरकरार'

नाथद्वारा। समाज में कविता की भूमिका अब भी बरकरार है जिसे नवोदित कवि संवेदनाओं के साथ आगे बढा रहे हैं। मन-मानस की सहज अभिव्यक्ति की क्षमता ही काव्य में उजागर होती है।
यह बात वरिष्ठ साहित्य नंद भारद्वाज ने कही। वे बुधवार को राजस्थान साहित्यकार परिषद कांकरोली की ओर से धर्मनगरी में आयोजित समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। शुरूआत मां सरस्वती के माल्यार्पण के साथ हुई। श्री वल्लभ संगीत नृत्य अकादमी के कलाकारों ने सरस्वती व गजानन वंदना को नृत्य रूप में प्रस्तुत किया। इस अवसर साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष अब्दुल हमीद शेख, गोपालकृष्ण खण्डेलवाल, माधव नागदा, जवानसिंह सिसोदिया, राधेश्याम सरावगी ने समारोह के अध्यक्ष व मुख्य अतिथियों का उपरणा, प्रसाद व श्रीजी की चित्र छवि प्रदान कर स्वागत किया। आयोजकों ने पीपा क्षत्रिय समाज की राष्ट्रीय संयोजिका दमयंती सोलंकी को विशेष सम्मान प्रदान किया। स्वागताध्यक्ष मधुसूदन पण्ड्या ने परिषद के उद्देश्यों को बताते हुए छोटे स्थलों पर रचनाकारों की सक्रियता को समाज के लिए अहम बताया।
लोकार्पणनगर की साहित्य प्रतिभा एम. डी. मनेरिया के दूसरे काव्य संग्रह अपना बनाकर देखो.. का लोकार्पण श्रीजी के बडे मुखिया नरहरि ठक्कर, डॉ. भगवतीलाल व्यास, कमर मेवाडी, माधव नागदा, शेख अब्दुल हमीद, इन्द्रप्रकाश श्रीमाली एवं गौरव बजाज ने किया।
सम्मान समारोहपरिषद् की ओर से नगर के रचनाधर्मी डॉ. सदाशिव श्रोत्रिय, मृणिशिल्पी डॉ. गगन दाधीच, डॉ. इन्द्रप्रकाश श्रीमाली, डॉ. कमला मुखिया, डॉ. धर्मचन्द्र मेहता, भगवतसिंह तथा दुर्गाशंकर मधु को शाल, स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

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