Monday, February 22, 2010

तो फिर यह अवैध क्यों!

कुंभलगढ। जिला मुख्यालय से 11 किलोमीटर दूर केलवाडा रोड पर पुठोल के आर. के. तथा पीपलांत्री सर्कल पर महाराणा प्रताप व कंुभा की प्रतिमाओं को अगर वैध माना जाए तो कुंभलगढ के ओधी चौराहे पर लगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा अवैध कैसे हो सकती है! इन दिनों कंुभलगढ की वादियों में यह सवाल आमजन को झकझोर रहा है।
आसपास के निवासियों ने बताया कि ग्राम पंचायत मुण्डोल ने पुठोल चौराहा स्थित आर के सर्कल पर महाराणा प्रताप व यहां से तीन किमी के फासले पर पीपलांत्री ग्राम पंचायत की ओर से सडक के बीचों-बीच सर्कल बना कर महाराणा कुंभा की प्रतिमाएं स्थापित की।
आर. के. चौराहे पर लगी प्रतिमा का अनावरण तत्कालीन गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया ने कर दिया था वहीं पीपलांत्री चौराहे पर लगी महाराणा कुंभा की प्रतिमा को अनावरण का इंतजार है।
ग्रामीणों का कहना है जब दोनों सर्कल व प्रतिमाएं वैध है, तो कुंभलगढ के ओधी चौराहे पर लगी प्रताप प्रतिमा को सरकार ने अवैध क्यों घोषित किया हुआ है। उल्लेखनीय है कि कुंभलगढ के ओधी चौराहे पर दो वर्ष पूर्व महाराणा प्रताप की प्रतिमा को राज्य सरकार ने यह कहते हुए अवैध घोषित कर दिया था कि वह सर्कल के बीचों-बीच है।
कुंभलगढ में स्थापित प्रताप प्रातिमा को जिला व स्थानीय प्रशासन ने रोकने का प्रयास किया लेकिन कुछ लोगों ने जिद कर प्रशासन के लाख मना करने के बावजूद उक्त विवादित पेडस्टल पर रातोरात प्रतिमा स्थापित कर दी। यही कारण है कि प्रतिमा आज भी राज्य सरकार की सौतेली नीति का शिकार होकर अवैध की गिनती में है।
नागरिकों ने प्रशासन तथा राज्य सरकार पर एक जैसे दो मामलों में अलग-अलग नीतियां अपनाने का आरोप लगाते हुए ओधी चौराहे पर लगी महाराणा प्रताप की पहली प्रतिमा के संबंध में उचित निर्णय लेने की मांग की है।

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