Monday, February 22, 2010

इंतजार है रेलवे लाइन का!

राजसमंद/भीम। आर्थिक पिछडेपन से पार पाने को लेकर लडाई लड रहे राजसमंद मुख्यालय सहित भीम, नरवर-दिवेर-मगरा क्षेत्र को रेलवे लाइन का लंबे समय से इंतजार है।
आवागमन का सुगम साधन उस क्षेत्र के आर्थिक विकास में सहायक होता है, इसका जीता जागता उदाहरण तत्कालीन मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाडिया के प्रयासों से जिला मुख्यालय व भीम होकर निकाला गया राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या आठ है। नगरों-महानगरों तक सडक मार्ग से सीधे जुड जाने के चार-पांच दशकों में मार्बल मण्डी व धर्म नगरी के रूप में विख्यात राजसमंद मुख्यालय सहित आसपास के अन्य कस्बों से उस समय पिछडे भीम ने तरक्की की लंबी छलांग लगाई।
अहमदाबाद, मुम्बई, सूरत, जयपुर सहित अन्य कई बडे नगरों से राजमागों से सीधे जुड जाने के कारण राजसमंद, पाली, भीलवाडा तथा अजमेर जिले की संगम स्थली भीम ने जिलों के व्यवसायियों को आकर्षित किया और गिनने लायक दुकानों की संख्या सैकडों में जा पहुंची।
आज कस्बे में आसपास के कस्बों तथा गांवों के व्यवसायी वर्ग के साथ बडा श्रमिक वर्ग भीम में जीविकोपार्जन कर रहा है। अगर भीम को उत्तर में 55 किलोमीटर दूर ब्यावर तथा दक्षिण में 30 किलोमीटर दूर कामली घाट रेलवे मार्ग से भीम को जोड दिया जाए तो संपूर्ण मगरा तथा इससे जुडे मेवाड व मारवाड के क्षेत्र के विकास का नया अध्याय शुरू हो जाएगा।
आमजन को फायदा
राजसमंद, भीम तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों के रोजाना आने-जाने वाले लोगों को रेल के रूप में सस्ता-सुगम तथा सुरक्षित साधन मिल जाएगा। सडक ट्रांसपोर्ट की जगह रेलवे से माल ढुलाई सस्ती होने से नए व्यापार केन्द्र के साथ-साथ छोटे-छोटे उद्योगों के लगने की भी संभावनाएं बढ जाएंगी। क्षेत्र के पर्यटन को बढावा मिलेगा, सडक मार्ग पर यातायात के दबाव में कमी से दुर्घटनाओं में कमी आने से जान-माल की क्षति कम होगी। क्षेत्र पर्यटक स्थलों को नई पहचान मिलेगी।
रेलवे को फायदा
सस्ते सुगम तथा सुरक्षित आवागमन के कारण व्यवसायी तथा श्रमिक वर्ग इससे सफर करेंगे। मार्बल मण्डी की माल ढुलाई से रेलवे को करोडों रूपए का राजस्व मिलेगा। इसके अलावा पर्यटकों की आवाजाही के साथ भीम के व्यापार केन्द्र के रूप में पूरी तरह उभर जाने के बाद अन्य स्रोतों से भी रेलवे के राजस्व में हर साल बढोतरी होगी।

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