राजसमन्द। जहां जीवन हैं वहां कभी खुशी कभी गम है। सम रहने के लिए समता का अभ्यास जरूरी है। जीवन-मरण, सुख-दु:ख, लाभ अलाभ, निंदा-प्रशंसा, मान-अपमान में जो सम रहता वह महान फल को प्राप्त होता है। इसलिए महान फल (मोक्ष) के लिए समत्व की चेतना को जगाना जरूरी है। उक्त विचार मुनि तत्वरूचि तरूण ने मंगलवार को तेरापंथ भवन कांकरोली में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा शरीर में आए कष्टाें को समता से सहन किया जाए तो कम्र की महानिर्जरा होती है। कर्म हमेशा कर्ता का अनुसरण करता है। उन्होने कहा कि व्यक्ति सुख में फुले नहीं व दु:ख आने पर घबराये नहीं। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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