Saturday, March 28, 2009

सम्बोधि उपवन में नववर्ष पर मंगलपाठ समारोह

राजसमन्द। तेरापंथ धर्मसंघ के आचार्य महाप्रज्ञ के शिष्य ध्यान योगी मुनि शुभकरण ने कहा कि व्यक्ति दूसराें के दोष देखने के बजाए स्वयं के दोष देखना प्रारंभ कर दे तो अनेक परेशानियाें से बचा जा सकता है। मुनि ने सम्बोधि उपवन परिसर में नववर्ष के अवसर पर आयोजित वृहद मंगलपाठ समारोह में उपस्थित श्रावक-श्राविकाआें को सम्बोधित करते हुए उपरोक्त विचार व्यक्त किए। उन्होने कहा कि आज शांति हर व्यक्ति चाहता है एवं उसे पाने के लिए इधर उधर भटक रहा है जबकि शांति तो उसके भीतर है। हम अपने अर्न्तमन में झांके, अच्छा सोचें, अच्छा बोले और अच्छा देते तो हमें शांति प्राप्त हो जाएगी। असीमित इच्छाआें के चलते उपभोक्तावादी प्रवृति को जो बढावा मिला है उससे व्यक्ति के लिए अनेक परेशानियां बढी है। हम अर्थ के पीछे दौड रहे हैं लेकिन यह भी सोचें कि धन अथवा पदार्थ से शांति सम्भव नहीं है। हम योग पदार्थों की सीमाएं करें। स्वर ज्ञान के द्वारा हम अनेक ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं। मुनि ने आमजन का आह्वान किया कि हमारा आचरण शुध्द रखें। हमारे पास जो ज्ञान है उसे आचरण में लाएं। बिना सही आचरण के शांति प्राप्त नहीं हो सकती है। इस अवसर पर मुनि सिध्दार्थ कुमार ने ओराें की खुशियों में मुस्कराएं सभ्य मानव सभी बन जाएं गीतिका प्रस्तुत कर उपस्थित जनाें को भाव विभोर कर दिया। संचालन वरिष्ठ श्रावक सुन्दरलाल लोढा ने किया।
इस अवसर पर हरकलाल बडाला, भेरूलाल सुराणा, बाबूलाल कोठारी, विनोद सोनी, जगजीवन चोरडिया, सोहनलाल माण्डोत, राजकुमार दक, घनश्याम तलेसरा, मनोहर लाल मादरेचा, प्रकाश मेहता, प्रकाश सिंघवी, मांगीलाल मादरेचा, गणपत हिरण, धर्मचन्द खाब्या, कमलेश तलेसरा, ख्यालीलाल मेहता, सम्पतराय सोनी, अमित दक, गुणसागर कोठारी, देवीलाल कोठारी पटवारी, रोनक धींग सहित राजसमन्द, केलवा, आमेट, सरदारगढ, कांकरोली, कुंआथल, पडासली, लाम्बोडी, चारभुजा आदि क्षेत्राें के श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित थे।

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