Sunday, March 29, 2009

संस्कार के प्रतिष्ठान से भारतीय संस्कृति बनेगी वैभवशाली : ठक्कर

राजसमन्द। प्रभु श्रीनाथ मंदिर के बडे मुखिया नरहरी बापू ठक्कर ने कहा कि भारतीय संस्कृति के वैभव को पुन: प्रतिष्ठापित करने के लिए हमें संस्कार परम्परा को मजबूत करना होगा। जिसमें देव संस्कृति विश्वविद्यालय महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। ठक्कर रविवार को गायत्री शक्तिपीठ सभागार में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा प्रकल्प की ओर से आयोजित दूसरे ज्ञान दीक्षा समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता पूर्व शिक्षा उपनिदेशक रमाकान्त आमेटा ने की जबकि विशिष्ट अतिथि शिक्षाविद यमुना शंकर दशोरा, प्रो. रोशनलाल महात्मा, डाईट प्रधानाचार्य घनश्याम दैया और हरिनारायण डाबी थे। ठक्कर ने कहा कि भारतीय संस्कृति त्याग, बलिदान, करूणा, प्रेम और सहिष्णुता का संदेश देती है। लेकिन पाश्चात्य की ओर बढते हुए झुकाव ने हमारी संस्कृति को काफी नुकसान पहंचाया है। ऐसे में हमें अच्छे विचाराें एवं संस्काराें को व्यवहारिक जीवन में उतारना होगा।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आमेटा ने कहा कि गायत्री परिवार ने पं. श्रीराम शर्मा के सूक्ष्म निर्देशन में समाज को सही दिशा देने वाला सृजन सैनानी तैयार करने का बीडा उठाया है। समारोह के प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए गायत्री परिवार पुष्कर प्रान्त के प्रतिनिधि घनश्याम पालीवाल ने विश्वविद्यालय की अवधारणा, सप्त सूत्री कार्ययोजना पर प्रकाश डाला। दूरस्थ शिक्षा समन्वयक मुकेश राही ने पाठयक्रम की विषय वस्तु अध्ययन, साधना सत्र की कार्ययोजना की जानकारी दी।
विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि राजेश मिश्र ने ज्ञान दीक्षा दी। वहीं मोहनलाल गुर्जर ने कुलगीत प्रस्तुत किया। समारोह में डॉ राकेश तेलंग, विद्याधर पुरोहित, सुनिल त्रिपाठी, राकेश टांक, हेमलता सुखवाल, जिला शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी हंसराज गिरी गोस्वामी, कुमारी डोली सोमपुरा ने भी विचार व्यक्त किए। संयोजन दूरस्थ शिक्ष सह समन्वयक दिनेश श्रीमाली ने किया। प्रारंभ में शक्तिपीठ के भंवरलाल पालीवाल, नाथूलाल कुमावत, रामचन्द्र पालीवाल, बद्रीलाल शर्मा, मनोहर लाल माहेश्वरी, नन्दलाल पालीवाल, देवीलाल पालीवाल और गिरीजा शंकर पालीवाल ने सभी का स्वागत किया। समारोह में प्रथम सत्र के श्रेष्ठ विद्यार्थियाें और खण्ड समन्वयकाें का भी सम्मान किया गया।

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