Monday, March 30, 2009

मायड़ भाषा की मान्यता के लिये मुखपट्टी सत्याग्रह एवं संगोश्ठी

राजसमन्द। राजस्थानी चिन्तन परिशद् मोट्यार परिशद् एवं महिला परिशद के संयुक्त तत्वाधान में राजस्थान दिवस यशवन्त छात्रावास राजसमन्द में मनाया गया। इस अवसर पर राजस्थानी भाशा को अब तक संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने के कारण संघशZरत इकाईयों के पदाधिकारियों एवं साहित्याकारों ने मोट्यार परिशद के संभाग महामंत्री डॉ0 मनोज दशोरा एवं चिन्तन परिशद जिला पाटवी राजेन्द्र सिंह चारण के नेतृत्व में महात्मा गांधी के चित्र के सामने मुंह पर पट्टी बांधकर मौन रखकर सत्याग्रह किया। पट्टी पर लिखा था-
राजस्थानी रे बिना गूंगो राजस्थान
राजस्थानी राखियां रहसी राजस्थान
राजस्थानी भाशा ने आठवीं अनुसूची में जोड़ों तथा बापु मां गुंगा हां
सत्याग्रह के बाद ज्ञान गोठ का आयोजन किया गया जिसे सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि साहित्यकार श्री चतुर कोठारी ने कहा कि व्यक्ति को कभी अपनी मां को नहीं भूलना चाहिये। राजस्थानी होने के नाते हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वे राजस्थानी की मान्यता के लिये समर्पित होकर सहयोग करे। वििशश्ठ अतिथि मनमोहन पालीवाल रविनन्दन चारण ने मायड़ भाशा की मान्यता का पुरजोर समर्थन करते हुए साहित्यीक रचनाएं प्रस्तुत की। राजस्थान िशक्षक संघ राश्ट्रीय के उप शाखा अध्यक्ष अशोक पालीवाल, राजेन्द्र पालीवाल नरेन्द्र आिशया, किशन सिंह चुण्डावत एवं उर्मीला पुरोहित आदि ने इस बात पर चिन्ता व्यक्त की कि राजस्थान दिवस मनाते हुए 60 वशZ बीत चुके हैं किन्तु राजस्थानी भाशा आज भी मान्यता के लिये तरस रही है। अत: जनता में जागृति लाने हेतु िशक्षकों द्वारा प्रेरित करने की बात कही तथा हर संभव मायड़ भाशा के लिये संघशZ हेतु तत्पर रहने पर जोर दिया।
इस अवसर पर मोट्यार परिशद के प्रतापसिंह दिलिप सिंह भारत सिंह रविराज सिंह कमलेश सिंह मणीराज सिंह गुलाब सिंह प्रवीण सिंह लोकेश िंसह व बहादुर सिंह चारण आदि सहित मोट्यार परिशद चिन्तन परिशद के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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