राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि संत संगति से पतिताें का भी उध्दार हो जाता है। संतो की संगत गंगा सी पवित्र, चन्द्रमा सी शीतल, कल्पतरू सी समृध्दि दायक होती है। आदमी को सदा सत संगति में रहना चाहिए। उक्त विचार उन्होने रविवार को कांकरोली के सुंदर कोलानी में अपने आगमन पर आयोजित स्वागत समारोह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए।
उन्होने कहा कि संतो की संगत करने से जीवन बुराइयाें से बच जाता है। सद् संस्काराें से भर जाता है। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, तेयुप अध्यक्ष प्रमोद सोनी, विनोद कुमार बडाला, मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास, योत्सना पोकरना ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंजू दक ने किया।
ज्ञानशाला : मुनि तत्वरूचि के सान्निध्य में रविवार को सुंदर कोलोनी में ज्ञानशाला का विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मेवाड आंचलिक ज्ञानशाला संयोजक देवीलाल कोठारी, सहसंयोजिका मंजू दक, तेरापंथ सभा कांकरोली के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष मंजू चोरडिया, मंत्री नीता सोनी, प्रतिभा मांडोत, सीमा सोनी, यंदा टुकलिया, जतन चोरडिया आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनि तत्वरूचि ने कहा कि ज्ञानशाला में बच्चाें को कोरा ज्ञान नहीं कराये बल्कि संस्कार भी मिले। इस अवसर पर श्रेष्ठ ज्ञानार्थियाें एवं प्रशिक्षणार्थियाें को पुरस्कृत किया गया। आंचलिक संयोजक देवीलाल कोठारी का शल्यार्पण तथा साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुनि भवभूति व मुनि कोमल ने भी विचार रखे।
उन्होने कहा कि संतो की संगत करने से जीवन बुराइयाें से बच जाता है। सद् संस्काराें से भर जाता है। कार्यक्रम में तेरापंथ सभा के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, तेयुप अध्यक्ष प्रमोद सोनी, विनोद कुमार बडाला, मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास, योत्सना पोकरना ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मंजू दक ने किया।
ज्ञानशाला : मुनि तत्वरूचि के सान्निध्य में रविवार को सुंदर कोलोनी में ज्ञानशाला का विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मेवाड आंचलिक ज्ञानशाला संयोजक देवीलाल कोठारी, सहसंयोजिका मंजू दक, तेरापंथ सभा कांकरोली के अध्यक्ष महेन्द्र कोठारी, तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्ष मंजू चोरडिया, मंत्री नीता सोनी, प्रतिभा मांडोत, सीमा सोनी, यंदा टुकलिया, जतन चोरडिया आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुनि तत्वरूचि ने कहा कि ज्ञानशाला में बच्चाें को कोरा ज्ञान नहीं कराये बल्कि संस्कार भी मिले। इस अवसर पर श्रेष्ठ ज्ञानार्थियाें एवं प्रशिक्षणार्थियाें को पुरस्कृत किया गया। आंचलिक संयोजक देवीलाल कोठारी का शल्यार्पण तथा साहित्य भेंट कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में मुनि भवभूति व मुनि कोमल ने भी विचार रखे।
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