Sunday, March 29, 2009

चून्दडी गणगौर की सवारी देखने जन सैलाब उमड़ा

राजसमन्द। राजसमन्द नगरपालिका के तत्वावधान में आयोजित राजस्थान के प्रमुख लोक पर्व गणगौर महोत्सव के दूसरे दिन राजसमन्द जिला मुख्यालय पर चून्दडी गणगौर सवारी परम्परागत रूप से पूरी शान-शौकत एवं धूमधाम से निकाली गई। सवारी देखने नर-नारियाें की भीड उमड पडी। श्री बालकृष्ण स्टेडियम में आयोजित मेले में आतिशबाजी तथा जादूगर के हैरतअंगेज कारनामों को देखने का भी लोगाें ने देर रात तक लुत्फ उठाया।
गोधुली वेला से पूर्व ढलते सूरज की लाल, पीली रोशनी के बीच प्रभु द्वारिकाधीश मंदिर से श्रृंगारित गणगौर एवं सुखपाल में बिराजित भगवान श्री द्वारिकाधीश की सवारी ने मेला स्थल के लिए प्रस्थान किया तो वहां उपस्थित हजाराें श्रध्दालुआें ने जयघोष कर वातावरण को गुंजायमान कर दिया। वहीं वाद्य वादन तुरही, बांकिया व नंगाडे सहित विभिन्न बैंड बाजाें पर लोकगीताेंं की सुमधुर स्वर लहरियाें में वातावरण को उत्सवी बना दिया। नगर में चहुंओर आज चून्दडी गणगौर का रंग छाया रहा।
शोभायात्रा में सबसे आगे ढोल नंगाडे, हाथी एवं उसके पीछे ऊंट पर स्थापित नंगाडे की गूंज सवारी देखने की प्रतिक्षा में मार्ग में खडे आबाल नर-नारियों को अधीर कर रहे थे। सवारी में सम्मिलित बडी संख्या में नन्हीं विद्यालयी बालिकाएं लहंगा लुंगडी पहने सिर पर जल कलश लिए होले-होले डग भरती शोभायात्रा को शोभायमान कर रही थी। वहीं शिव-पार्वती व राधा कृष्ण सहित विभिन्न देवी-देवताआें की आकर्षक झांकिया लोगो की धार्मिक आस्था को प्रगाढ बना रही थी। सवारी में ऊंट गाडियाें पर सजी इन झांकियाें ंमें धार्मिक एवं लोक संस्कृति को भी प्रदर्शित किया गया। सवारी के मध्य बग्गी एवं रथ पर कास्ट से बनी विभिन्न गणगौर प्रतिमाएं चून्दडी परिधानाें में सजी अपनी अलग ही छटा बिखेर रही थी। परम्परानुसार सवारी में मंदिर निशान लिए घुडसवार, फौज पलटन थी जो रियासत काल की परम्परागत शाही गणगौर सवारी की याद ताजा कर रही थी वहीं दूसरी ओर ढोल नंगाडे एवं कच्छी घोडी नृतक अपनी नृत्यकला प्रदर्शनी से विशेष कौतूहल का नजारा लिए हुए थे।
सुखपाल में बिराजित भगवान द्वारिकाधीश को कंधे पर उठा चंवर ढुलाते श्रृध्दालु साथ चल रहे थे। नगर के वृध्दजन एवं युवा सहित चून्दडी की मेवाडी पाग व अंगर की पहने गले में गमछा डाले चल रहे श्रृध्दालु के रह रहकर गिरिराज धरण की जय, जय बोल श्री राधे.. पूछडी के लौठे की हूक बोल मेरे प्यारे.. के जयघोष से वातावरण गूंज रहा था। सवारी को देखने के लिए मार्ग के दोनो ओर तथा मकानाें की छताें पर श्रृध्दालुआें की भीड जमा थी।
शोभायात्रा में पारंपरिक वेशभूषा में नगरपालिका चैयरमेन अशोक रांका, मेला व्यवस्था समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र चौधरी, उपाध्यक्ष सत्यप्रकाश काबरा, आयुक्त सूरज प्रकाश शर्मा सहित पार्षद एवं विभिन्न समाजाें के प्रतिनिधि एवं नगरवासी साथ चल रहे थे। सवारी के कांकरोली सब्जी मंडी पहुंचने पर वहां स्थित सुखपाल की छतरी में प्रभु द्वारिकाधीश ने कुछ पल के लिए विश्राम किया। इस छतरी को विशेष रंगोली व विद्युत साज साा में सजाया था। सवारी में शामिल घुडसवार, पालकी, एवं नृत्य रत घोडे के अलावा डायनासोर, हाथी, बिल्ला के प्रतिकाें ने भी दर्शकाें को मोहित किया। रंग-बिरंगी आकर्षक रोशनी से लकदक मेला प्रांगण में सवारी के पहुंचने पर धर्मप्राण महिलाआें ने गणगौर की पूजा कर झाले दिए तथा पारंपरिक गीत भंवर म्हाने पूजन दो गणगौर .. एवं म्हारी घूरम छै नखराली ओ माय घूमर रमवा ने जास्या के साथ .. घूमर नृत्य किया। मंच पर बिराजित प्रभु द्वारिकाधीश की पूजा अर्चना के बाद सवारी ने पुन: मंदिर के लिए प्रस्थान किया। सवारी के स्वागत में कांकरोली मुख्य चौपाटी पर विशाल स्वागत द्वार बनाया गया। इसके अतिरिक्त मेला प्रांगण के मुख्य द्वार तथा जगह-जगह कई स्वागत द्वार बनाए गए । मेला स्थल पर लगे हवाई झूले, डोलर व जादू खिलौने तथा चाट पकोडी का भी लोगाें ने आनन्द उठाया।
इससे पूर्व शनिवार रात्रि को नववर्ष विक्रम संवत 2066 के स्वागत में पालिका द्वारा भव्य आतिशबाजी की गई एवं जादूगर शिवसिंह चौहान द्वारा हैरतअंगेज जादूई कारनामें देखने भी लोगाें की भीड उमडी।

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