राजसमन्द। मुनि तत्वरुचि ने कहा कि अपने आराध्य के प्रति अनन्य श्रध्दा-भक्ति रखनी चाहिए क्योकि भक्ति से ही शक्ति का जागरण होता है। उन्होंने कहा कि श्रध्दावान स्वर्ग में वास करता है। संदेहशील नरक निवासी होता है। हम अपनी अंतरात्मा में संदेह रहित श्रध्दा भाव जगाए।
मुनि तत्वरुचि रविवार को कांकरोली के तेरापंथ भवन में श्रध्दा, भक्ति एवं शक्ति पर प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिष्य चाहे कितना ही विकास कर लेवे किन्तु गुरु के प्रति सदा कृतज्ञ और विनम्र रहे। जो गुरु स्वयं आत्म कल्याण में रत है और दूसरों का आध्यात्मिक पथ प्रशस्त करते है ऐसे उपकारी गुरु सदा सेव्य है। अपने इष्ट और गुरु के प्रति अटूट श्रध्दा व आस्था रखने से दिव्य शक्तियों की साक्षात अनुभूति की जा सकती है। धर्म सभा में मुनि भवभूति, मुनि कोमल और मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
मुनि तत्वरुचि रविवार को कांकरोली के तेरापंथ भवन में श्रध्दा, भक्ति एवं शक्ति पर प्रवचन कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि शिष्य चाहे कितना ही विकास कर लेवे किन्तु गुरु के प्रति सदा कृतज्ञ और विनम्र रहे। जो गुरु स्वयं आत्म कल्याण में रत है और दूसरों का आध्यात्मिक पथ प्रशस्त करते है ऐसे उपकारी गुरु सदा सेव्य है। अपने इष्ट और गुरु के प्रति अटूट श्रध्दा व आस्था रखने से दिव्य शक्तियों की साक्षात अनुभूति की जा सकती है। धर्म सभा में मुनि भवभूति, मुनि कोमल और मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
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