राजसमन्द। मुनि कुलदीप ने कहा कि भगवान महावीर ने मुक्ति के दो मार्ग बताएं और कहा संयम पालन में दो श्रेणीया संभव हो सकती है। प्रथम पांच महाव्रताें की पूर्ण आराधना जीवन पर्यनत तथा दूसरी आंशिक रूप से व्रतो की साधना करना। उक्त विचार उन्होने किशोरनगर में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथ महिला मंडल की कार्यशाला में बारह व्रती श्रावक साधना विषय पर कही। उन्होने कहा हम साधना क्याें कर रहे हैं, जीव हिंसा की विरक्ति कर रहे हैं वो क्याें कर रहे हैं। इस लक्ष्य को सामने रख कर करें। जो भी साधना करे उसका लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए।
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