Sunday, March 15, 2009

त्याग में वैराग जरूरी : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने •हा •कि न्याय में वैराग जरूरी है। वैराग शून्य त्योग सिर्फ दिखावा है। हम आडम्बर-प्रदर्शन से मुक्त हो•र वैराग भाव से त्याग •का अनुसरण •रें। वास्तव में त्याग तो वैराग •की निष्पत्ति है। बिना वैराग •के त्याग, त्याग नहीं मजा• है। जैसे •कारण •के बिना •कार्य नहीं होता, वैसे ही वैराग्य •के बिना त्याग नहंकी होता। उक्त विचार उन्होंने शनिवार •को तेरापंथ भवन में धर्मसभा •को सम्बोधित •रते हुए व्यक्त •किए। उन्होने •हा •कि त्याग बाहर से और वैराग भी तर से आता है। जो त्याग वैराग से ग्रहण •किया जाता है, उस•का प्रभाव अन्तरात्मा त• होता है। धर्म •का आधार विराग है। विराग फलित त्याग आत्म धर्म है। मुनि ने •हा संसार छोड•र संयम स्वी•कारने वाला अने• योग्य वस्तुओं •का त्याग और संयम •रता है इसलिए वह त्यागी है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि •कोमल व मुनि वि•कास ने भी सभा •को सम्बोधित •किया।
आध्यात्मि• अन्त्याक्षरी आज : मुनि तत्वरूचि तरूण •के सान्निध्य में रविवार रात •को तेरापंथ सभा भवन में आध्यात्मि• अन्त्याक्षरी प्रतियोगिता आयोजित •की जाएगी। तेयुप •के योगेन्द्र •कुमार चोरडिया ने बताया •कि •कार्य•क्रम रात्रि साढे आठ बजे प्रारंभ होगा तो दस बजे त• चलेगा। प्रतियोगिता में तेरापंथ युव• परिषद, तेरापंथ सभा, तेरापंथ महिला मंडल, •न्या मंडल •के सदस्य भाग लेंगे।

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