Wednesday, March 18, 2009

आत्मोन्नति में भावशुध्दि जरूरी : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। आगम शास्त्र के लेश्या सिध्दान्त पर प्रवचन करते हुए मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जैसी मति वैसी गति होती है। मरने के बाद व्यक्ति किस गति में गया इस जिज्ञासा का तर्कसंगत उत्तर आगम वाणी में मिलता है। आदमी जिस लेश्या अर्थात भावधारा में मरता है उसी भावधारा के आधार पर आगम गति को प्राप्त होता है। मृत्यु को प्राप्त होने वाला व्यक्ति शुभ परिणामाें में प्राण त्यागता है तो सद गति तथा अशुभ परिणामाें में प्राण त्यागने वाला अधोगति को प्राप्त होता है। उक्त विचार उन्होने बुधवार को तेरापंथ भवन कांकराली में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। मुनि ने कहा आत्म कल्याण के इच्छुक कभी आर्त ध्यान और रोद्रध्यान न करें वे सदा धर्म ध्यान तथा शुक्ल ध्यान में रमण करें। भावाें की शुध्दि से ही व्यक्ति इहलोक और परलोक दोनो में सुख शांति को प्राप्त हो सकता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि विकास, मुनि कोमल ने भी विचार रखे।
महिला संगोष्ठी आज : तेरापंथ महिला मंडल कांकरोली के तत्वावधान में साप्ताहिक संगोष्ठी गुरूवार को तेरापंथ भवन कांकरोली में आयोजित की जाएगी। महिला मंडल मंत्री नीता सोनी ने बताया कि संगोष्ठी में महावीर जयन्ती के संदर्भ में चर्चा होगी। गुरूवार को जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभदेव का दीक्षा दिवस होने से तपस्वीजन वर्षीतप भी प्रारंभ करते हैं। तेरापंथ भवन में प्रात: साढे नौ बजे भगवान ऋषभ देव के जीवन दर्शन पर प्रवचन होगा।

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