Saturday, February 28, 2009

विद्यार्थियों ने लिए नैतिकता के संकल्प

राजसमन्द। समाज में बुद्धिमानो की नहीं, चरित्रवानों की कमी है अत: शिक्षा से चरित्रवान बुद्धमानो का निर्माण हो क्योंकि चरित्रहीन बौद्धिकता समाधान नहीं बल्कि समस्याओं को जन्म देती है। उक्त विचार मुनि तत्वरूचि तरूण ने तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में चलाए जा रहे जीवन विज्ञान अभियान के तहत शनिवार को सरस्वती बाल निकेतन माध्यमिक विद्यालय कांकरोली के छात्र-छात्राओ को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि नैतिकता शून्य बौद्धिकता बोझ है। आज संकटग्रस्त समाज को बौद्धिकता से अधिक नैतिकता की अपेक्षा है। व्यक्ति-व्यक्ति नीति नीष्ठ और नैतिक बने। वास्तव में नैतिकता की पतवार ही समस्या के सागर से पार पाने का आधार बन सकती है। मुनि ने विद्यार्थियों को अणुव्रतों के नियम दिलाते हुए कहा व्यक्ति नैतिक, चरित्रवान और संस्कारवान बनकर ही स्वयं तथा समाज का भला कर सकता है। संयम, अनुशासन और विवेक की प्रेरणा देते हुए उन्होने कहा कि जिस गाडी में लाईट और ब्रेक न हो वह गाडी दुर्घटना ग्रस्त हो सकती है। उसी प्रकार जीवन के अन्दर संयम अनुशासन का ब्रेक न हो, विवेक की बत्ती न हो तो वह जीवन भी खतरनाक होता है। इस अवसर पर मुनि ने छात्रो को जीवन विज्ञान के प्रयोगो से भी लाभान्वित किया। कार्यक्रम की शुरूआत में तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचारण किया, विद्यालय के प्रिंसिपल मोहम्मद हुसैन ने संतो का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन एवं आभार सहमंत्री नवीन चोरडिया ने किया। इस अवसर पर तेयुप अध्यक्ष प्रमोद सोनी, मंत्री कमलेश बोहरा, संगठन मंत्री येागेन्द्र चोरडिया, सुरेश कुमार नवलखा, श्रीमती मंजू टुकलिया आदि उपस्थित थे।

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