Friday, February 20, 2009

मन के जीते जीत और मन के हारे हार : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि जिंदगी के रथ को मन का घोडा खींचता है। यदि मन रूपी घोडों की लगाम हमारे हाथ में है तो जिंदगी का रथ उत्पथगामी नहीं बनेगा। अत: सत पथ पर चलने के लिए मन रूपी घोडें की लगाम हमारे हाथों में हो। वे शुक्रवार को कांकरोली के नया बाजार स्थित तेरापंथ भवन में कैसे जीएं मन के संग विषय पर प्रवचन कर रहे थे।
उन्होने कहा कि मन के जीते जीत और मन के हारे हार है। वास्तव में जो मन का मारा वह हारा और जिसने मन को मारा वह जीता। दुनियां को वश में करना इतना कठिन नहीं जितना कि मन को वश में करना। उन्होने बताया कि मन को एकाग्र करने का सीधा तरीका है श्वास प्रेक्षा। मन का श्वास से गहरा सम्बन्ध है। श्वास छोटा तो मन चंचल होगा और मन की चंचलता से श्वास का वेग बढ जाता है। इसलिए श्वास को नियन्त्रित कर मन को वश में किया जा सकता है। इस अवसर पर मुनि भवभूति, मुनि कोमल, मुनि विकास ने भी विचार व्यक्त किए।
दम्पत्ती चित्त समाधी शिविर आज : मुनि तत्वरूचि तरूण के सान्निध्य में तेरापंथ महिला मंडल कांकरोली की ओर से दम्पत्ती चित्त समाधी शिविर का आयोजन शनिवार 21 फरवरी को रात आठ बजे किया जाएगा। यह जानकारी तेरापंथ महिला मंडल मंत्री नीता सोनी ने दी।

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