Wednesday, February 25, 2009

प्रशिक्षण पिंड नहीं छोड रहा है शिक्षको का

राजसमन्द। विद्यालयों में छात्रों की परीक्षाएं सिर पर है लेकिन शिक्षकों के आए दिन प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। ऐसे में छात्रो के अध्यापक में प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय की जिला शखा ने इसका कडा विरोध किया है।
शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष प्रभुगिरी गोस्वामी ने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा के अन्तर्गत मीडील बोर्ड की परीक्षाएं दो मार्च से आयोजित होनी है। लेकिन शिक्षकों तथा संस्थाप्रधानों के प्रशिक्षण थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। अभी विगत दिनों 19 से 21 फरवरी तक संस्था प्रधानों को प्रशासनिक गुर सिखाए तो 24 से 27 तक अन्य प्रशिक्षण आयोजित किए जा रहे हैं। डाइट तथा सर्व शिक्षा द्वारा आयोजित ये प्रशिक्षण कहां तक उपयोगी सिद्ध होंगे ये भविष्य के गर्भ में है। लेकिन विद्यालयों में अध्यापक व्यवस्था में इसका प्रतिकूल प्रभाव पड रहा है। यह स्पष्ट दृष्टिगोचर है। एक ओर जहां विद्यालय शिक्षकों की कमी का अभाव सह रहे हैं वहीं ये प्रशिक्षण दाद में खुजली सिद्ध होते जा रहे हैं। गोस्वामी ने कहा कि बेहतर होतायदि ये प्रशिक्षण परीक्षाओं के ऐन वक्त पहले आयोजित नहीं कर इन्हें काफी पहले आयोजित किए जाते तो अध्यापक व्यवस्थाओं पर इसका अन्य असर नहीं होता।
शिक्षक संघ के जिला संगठन मंत्री गिरिजा शंकर पालीवाल, जिला मंत्री रामचन्द्र पानेरी, प्रदेश उपाध्यक्ष यशोदा दशोरा, प्रांतीय मंत्री निरंजन पालीवाल ने कहा कि ये प्रशिक्षण सत्र के मध्य अथवा प्रारंभ में रखे जाने चाहिए तथा ध्यान रखा जाना चाहिए कि इस बीच किसी भी प्रकार की परीक्षाएं ते आयोजित नहीं हो रही है साथ ही प्रशिक्षण देने वाले संदर्भित व्यक्तियों, को पहले समुचित प्रशिक्षण देना चाहिए। कई बार इनका प्रदर्शन तथा प्रशिक्षण हास्यास्पद बन जाता है। शिक्षक संघ के घनश्याम माली, अशोक पालीवाल, राजेन्द्र शर्मा, मोतीलाल कुमावत, हेमङ्क्षसह, कालुसिंह, नाथूसिंह पंवार आदि ने निदेशक सर्वशिक्षा को पत्र लिख कर ये प्रशिक्षण उपयुक्त समय पर रखे जाने की मांग की है।

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