Wednesday, February 18, 2009

आत्मानुशान की चेतना का विकास करें : मुनि तत्वरूचि

राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि बेसाखियों की जरूरत उनको है जो नियमों, मर्यादाओं और सीमाओं का उल्लंघन करते हैं। जो स्व विवेक से नियमानुसार चलते हैं उनके लिए अनुशासन की अपेक्षा नहीं रहती। इसके लिए आवश्यक हे कि हम जीवन में आत्मानुशासन की चेतना का विकास करें। यह विचार उन्होने बुधवार को विद्या निकेतन माध्यमिक विद्यालय कांकरोली में तेरापंथ महिला मंडल की ओर से अनुशासन की महत्ता विषय पर आयोजित सेमिनार में प्रवचन करते हुए व्यक्त किए। मुनि ने छात्र-छात्राओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि विद्यालय से केवल शिक्षा ही प्राप्त न करें, संस्कार भी ग्रहण करें। संस्कार जीवन की बुनियाद होते हैं। अत: सुंदर और सुदृढ भविष्य के लिए सुसंस्कार अति आवश्यक है। इस अवसर पर मुनि तत्वरूचि ने छात्र-छात्राओं को परीक्षा में अवैध तरीके न अपनाने, वाणी में अपशब्दों का प्रयोग न करने, व्यसन से मुक्त रहने आदि अणुव्रतों के संकल्प करवाये। इस अवसर पर मुनि कोमल कुमार, मुनि विकास कुमार, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती मंजू चोरडिया ने भी विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का प्रारंभ तेरापंथ कन्या मंडल ने बदले युग की धारा अणुव्रत गीत का संगाना कर किया। समारोह की अध्यक्षता प्रधानाध्यापक हनुवंत राय भटनागर तथा प्रधानाध्यापिका श्रीमती उषा राणावत ने की। कार्यक्रम में तेयुप अध्यक्ष प्रमोद कुमार सोनी, मंत्री कमलेश बोहरा, एडवोकेट देवेन्द्र कुमार कच्छारा, सुशील कुमार बडाला, जगजीवन चोरडिया, ज्ञानशाला प्रभारी मंजू दक, बाबूलाल डांगी, सुरेश कुमार नवलखा, नीता सोनी, सोहन देवी बागरेचा, पुष्पा सोनी, विजय लक्ष्मी सोनी, पुष्पा डांगी, पुष्पा चोरडिया, मंजू टुकलिया, श्रीमती पितालिया आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती नीता सोनी ने किया।

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