Sunday, March 22, 2009

सौल्लास मनाया दशामाता व्रत पर्व

राजसमन्द। जिले में धर्म प्राण महिलाआें ने परिवार की सुदशा और सम्पन्नता के लिए पारम्परिक दशामाता व्रत पर्व शनिवार को श्रध्दा पूर्वक मनाया। सौभाग्यवती महिलाआें, नव परिणताआें ने पीपल के वृक्ष एवं शिव पार्वती की पूजा अर्चना भाव-भक्तिपूर्ण कर सुख समृध्दि की कामना की।
जिला मुख्यालय पर शनिवार तडके ही महिलाएं पीपल के पेडाें के पास पहुंची। नगर के विभिन्न पीपल चौकाें पर धर्म प्राण महिलाएं बडे सवेरे ही स्नानादि से निवृत होकर परम्परागत नव वस्त्र धारण कर पूजा का थाल सजाए पीपल के पेड की अर्चना करने के लिए प्रस्थान किया तथा पीपल के पास पहुंच, परम्परानुसार कुमकुम, मेहन्दी, मौली, चूडी, दोवडा, धागे, आटा मिश्रित हल्दी के बने गहने, दीपक आदि से पूजा अर्चना की। कच्चे सूत को पीपल के तने से लपेटते हुए परिक्रमण किया तथा हाथ में आखा लेकर दस कथांए कही सुनी। शहर में सर्वत्र समूह रूप में महिलाआें के गीत गाते आने जाने का नजारा रहा। इस अवसर पर बुजुर्ग महिलाआें ने दशामाता की वेल तोड दिए जाने से क्षुब्ध माताजी द्वारा नल राजा दमयंती रानी को भिखारी बना देने तथा दुबारा पुन: दशामाता का व्रत रखने पर सब कुछ लौटा देने की कहानी सुनाई। इसके साथ ही अन्य कथाआें में शिव-पार्वती, सूर्य भगवान, कुकड- माकड, विनायकजी, राम-लक्ष्मण, तुलसी महारानी आडई-बाडी, लुम्बया बावजी आदि की कथाएं भी कही गई। इस अवसर पर महिलाआें ने दशामाता के पारम्परिक प्रशस्ति गीतो में उठी राणी रूकमणी, पूजा दशामाता, दशामाता पूया कांई फल होसी, तो अन्न होसी, धन होसी, पूतां रो परवार होसी, सायबजी रो राज होसी, आदि गीत गाए। नव वधुओं को भी विधि पूर्वक व्रत दिलाया एवं नई वेल धारण कराई, महिलाओ ने पीपल की छाल को कनिष्ठा अंगूली से बटोरा और इस छाल को घर ले जाकर पूजागृह में रखा तथा द्वार पूजा कर स्वास्तिक अंकित किया एवं बुजुर्गों के पांव छुए तथा आशीर्वाद प्राप्त किया। घराें में इस अवसर पर विशेष रूप से लपसी, चावल, कढी-पराठे, पूडी खीर बनाकर सपरिवार व्रत खोला। नगर मे कांकरोली चौपाटी, सूरजपोल नई आबादी, चौमुखा महादेव मंदिर, जलचक्की, मंडा, सिविल लाईन्स, पुराना जिला चिकित्सालय परिसर, कलालवाटी, सदर बाजार, मालीवाडा, स्वास्तिक कोलोनी, खत्री मोहल्ला, कुमावत समाज नोहरा, हाथीनाडा, सनवाड, जावद, सेवाली, धोइन्दा आदि जगह पीपली चबुतराें पर महिलाआें की काफी भीड लगी रही। कुंवारिया कस्बे में दशामाता पर्व परम्परानुसार मनाया गया। शनिवार तडके ही चारभुजा बड़ मंदिर, मूंदडा मंदिर सहित विभिन्न स्थानों पर पीपल चौकाें पर धर्म प्राण महिलाएं बडे सवेरे ही स्नानादि से निवृत होकर परम्परागत नव वस्त्र धारण कर पूजा का थाल सजाए पीपल के पेड की अर्चना करने के लिए पहुंची तथा पीपल की परम्परानुसार कुमकुम, मेहन्दी, मौली, चूडी, दोवडा, धागे, आटा मिश्रित हल्दी के बने गहने, दीपक आदि से पूजा अर्चना की। कच्चे सूत को पीपल के तने से लपेटते हुए परिक्रमण किया तथा हाथ में आखा लेकर दस कथाएं कही सुनी।

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