राजसमन्द। मुनि तत्वरूचि ने कहा कि सान समाज के भूषण और दुर्जन समाज केदूषण है। व्यक्ति दुर्जनता को छोड सजनता को स्वीकार करें। सजनता से ही व्यक्ति की शोभा है। सान व्यक्ति समाज का अलंकरण है। उक्त विचार मुनि ने शनिवार को तेरापंथ भवन कांकरोली में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होने कहा कि सानता मनुष्य का सर्वोपरि गुण है। जिससे व्यक्ति असाधारण व्यक्तित्व का धनी कहलाता है। महानता का आधार है सानता। सान दुर्जन का अन्तर बतलाते हुए कहा सजन दूसराेंे के लिए जीते हैं जबकि दुर्जन दूराें पर जीते हैं। मुनि ने कहा सान की दृष्टि सकारात्मक होती है। इसी वजह से वह अवगुण निकालने वाले पर आवेश नहीं करता बल्कि हितकारी शिक्षा मानकर अपना सुधार करता है। किंतु दुर्जन दोष निकालने वाले को दुश्मन मान लेता है। इस प्रकार अपने में अवगुणों को बढावा देता है। इस अवसर पर मुनि विकास ने जप का प्रयोग करवाया व गीत प्रस्तुत किया। तेरापंथ भवन कांकरोली में जेन धर्म के प्रथम तीर्थकर भगवान ऋषभ के दीक्षा कल्याण दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में मुनि तत्वरूचि तरूण ने कहा कि भगवान ऋषभ युग दृष्टा व युृग सृष्टा थे। मुनि ने भगवान के जीवन दर्शन पर प्रकाश डालते हुए जैन धर्म के सिध्दान्तो का भी प्रतिपादन किया। सभाध्यक्ष महेन्द्र कुमार कोठारी ने बताया कि रविवार रात को मुनि तत्वरूचि के सान्निध्य में संस्मरणाें का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।
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