राजसमन्द। जिला एवं सेशन न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा ने कहा कि शिक्षा एवं समझ के अभाव में मामूली बातें विवाद को जन्म देती है। हर व्यक्ति सोचे तो विवाद की जड़ को समझते हुए आपसी समझाइश से बउे से बडे विवाद समाप्त किए जा सकते हैं। विवादों को न्यायालय की फेहरिस्त नहीं बनने दें। शर्मा रविवार को राजसमन्द पंचायत समिति की पिपलान्त्री ग्राम पंचायत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर आयोजित विधिक साक्षरता शिविर की अध्यक्षता करते हुए उपस्थित ग्रामीण जन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होने कहा कि कानून समाज को सूव्यवस्थित संचालित करने एवं पीडि़तों तथा असहायों की मदद के लिए बने है। जिनसे संरक्षण मिलता है। विधिक साक्षरता का भी मुख्य उद्देश्य संविधान में प्रदत्त मौलिक अधिकारो को आमजन के लिए विधान के अनुसार उपलब्ध कराना, उनके हनन को रोकना है।
उन्होने इस अवसर पर खास तौर से महिलाओं को आह्वान किया कि वे अपने घरेलू विवाद घर में ही सुलझाएं उन्हें न्यायालयों में नहीं लाए तो बेहतर है। आपसी समझाइश से मतभेद नहीं होते। उन्होने कहा कि बालिकाओं को शिक्षा का अवसर बालक की भांति समान रूप से दे।
उन्होने सामाजिक कुरीतियों में बाल विवाह, मृत्यु भोज, छुआछुत एवं दहेज प्रथा से बचने की सलाह दी। शर्मा ने कहा कि पीडित एवं असहाय पर होने वाले कुठाराघात से बचाने एवं न्याय के साथ उनके संरक्षण के लिए कानून बने है जो न्यायलय के आदेश से साकार होते हैं। इनकी उपयोगिता संरक्षण प्रदान करना है। इनका भी लाभ लिया जाना चाहिए लेकिन ऐसे विवाद जो आपसी समझाइश से नहीं हल हो सकते हो जिनकी परिस्थितियां भिन्न हो। उन्होने सभी को समाज एवं राष्ट्र विकस में नई एवं सकारात्मक सोच रखने का आह्वान किया।
शिविर के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर ओंकार सिंह ने कहा कि कानून को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। अपनी मर्यादाओं में यदि रहे तो विवाद नहीं होते। छोटी सी बात का बतंगड नहीं बनाना चाहिए, बल्कि घर परिवार में तो प्रेम सौहार्द भाव रखने मात्र से किसी प्रकार का विवाद ही नहीं रह जाता। उन्होने ग्रामीण जन का आह्वान किया कि वे वाद रहित गांव एक आदर्श के रूप मेें विकसित करें तो राष्ट्रीय भावना का विकास होगा। परिवार ही एक छोटी इकाई है। समस्या का निवारण आपस में ही करले तो विवाद भी नहीं बढेगा वहीं समय, श्रम एवं आर्थिक रूप से धन की भी बचत होगी।
इस अवसर पर एडीजे चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि आज के वर्तमान में संस्कारों की कमी होती जा रही है। व्यक्ति यदि परिवार में अच्छे संस्कार रखे तो मर्यादा रहेगी और बालक अभिभावक का सम्मान करेंगे। संयमित रहेंगे तो अनुशासन कायम होगा और विवाद का जन्म ही नहंी होगा। स्त्री,पुरूष, साम-ससुर, बहिन सभी यदि आदर भाव रखे,एक दूसरों का ख्याल रखे तो विवाद का प्रश्न ही नहीं उठता। संस्कार मूल्यवान है इसे अंगीकार करने की आवश्यकता है।
शिविर में पूर्व न्यायाधीश बसंतीलाल बाबेल ने कहा कि नैतिक मूल्यों में गिरावट विवाद को जन्म देती है। हमें अपने दैनिक जीवन को व्यवहारिक बनाना चाहिए।
इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यशवन्त शर्मा ने कहा कि कानूनों की जानकारी के अभाव में मिलने वाले कई परिलाभों से व्यक्ति महरूम रह जाता है। शिविर में अधिवक्ता वर्षा पालीवाल ने महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा पर कानूनी जानकारी दी। जबकि अधिवक्ता अतुल पालीवाल ने पुरूषों के लिए भी कानूनी संरक्षण की बात कहते हुए दैनिक जीवन में उपभोक्ता के तहत आने वाली आधारभूत सुविधाओं में पानी, बिजली, टेलिफोन, बीमा जेसी शिकायतों से संबंधित जानकारी दी।
प्रारंभ में सरपंच श्यामसुन्दर पालीवाल ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया।
शिविर में जिले के विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीशों ने कानूनी सलाह दी।
इस अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट राजेन्द्र कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामपाल शर्मा, उपखण्ड अधिकारी राजसमन्द मगनलाल योगी, तहसीलदार अमृतलाल डामोर, विकास अधिकारी राजसमन्द आरके अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार दक सहित गणमान्य नागरिक एवं आम ग्रामीण जन उपस्थित थे। शिविर का संयोजन अतुल पालीवाल ने किया।
उन्होने इस अवसर पर खास तौर से महिलाओं को आह्वान किया कि वे अपने घरेलू विवाद घर में ही सुलझाएं उन्हें न्यायालयों में नहीं लाए तो बेहतर है। आपसी समझाइश से मतभेद नहीं होते। उन्होने कहा कि बालिकाओं को शिक्षा का अवसर बालक की भांति समान रूप से दे।
उन्होने सामाजिक कुरीतियों में बाल विवाह, मृत्यु भोज, छुआछुत एवं दहेज प्रथा से बचने की सलाह दी। शर्मा ने कहा कि पीडित एवं असहाय पर होने वाले कुठाराघात से बचाने एवं न्याय के साथ उनके संरक्षण के लिए कानून बने है जो न्यायलय के आदेश से साकार होते हैं। इनकी उपयोगिता संरक्षण प्रदान करना है। इनका भी लाभ लिया जाना चाहिए लेकिन ऐसे विवाद जो आपसी समझाइश से नहीं हल हो सकते हो जिनकी परिस्थितियां भिन्न हो। उन्होने सभी को समाज एवं राष्ट्र विकस में नई एवं सकारात्मक सोच रखने का आह्वान किया।
शिविर के मुख्य अतिथि जिला कलक्टर ओंकार सिंह ने कहा कि कानून को सकारात्मक रूप से लेना चाहिए। अपनी मर्यादाओं में यदि रहे तो विवाद नहीं होते। छोटी सी बात का बतंगड नहीं बनाना चाहिए, बल्कि घर परिवार में तो प्रेम सौहार्द भाव रखने मात्र से किसी प्रकार का विवाद ही नहीं रह जाता। उन्होने ग्रामीण जन का आह्वान किया कि वे वाद रहित गांव एक आदर्श के रूप मेें विकसित करें तो राष्ट्रीय भावना का विकास होगा। परिवार ही एक छोटी इकाई है। समस्या का निवारण आपस में ही करले तो विवाद भी नहीं बढेगा वहीं समय, श्रम एवं आर्थिक रूप से धन की भी बचत होगी।
इस अवसर पर एडीजे चन्द्रशेखर शर्मा ने कहा कि आज के वर्तमान में संस्कारों की कमी होती जा रही है। व्यक्ति यदि परिवार में अच्छे संस्कार रखे तो मर्यादा रहेगी और बालक अभिभावक का सम्मान करेंगे। संयमित रहेंगे तो अनुशासन कायम होगा और विवाद का जन्म ही नहंी होगा। स्त्री,पुरूष, साम-ससुर, बहिन सभी यदि आदर भाव रखे,एक दूसरों का ख्याल रखे तो विवाद का प्रश्न ही नहीं उठता। संस्कार मूल्यवान है इसे अंगीकार करने की आवश्यकता है।
शिविर में पूर्व न्यायाधीश बसंतीलाल बाबेल ने कहा कि नैतिक मूल्यों में गिरावट विवाद को जन्म देती है। हमें अपने दैनिक जीवन को व्यवहारिक बनाना चाहिए।
इस अवसर पर जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष यशवन्त शर्मा ने कहा कि कानूनों की जानकारी के अभाव में मिलने वाले कई परिलाभों से व्यक्ति महरूम रह जाता है। शिविर में अधिवक्ता वर्षा पालीवाल ने महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा पर कानूनी जानकारी दी। जबकि अधिवक्ता अतुल पालीवाल ने पुरूषों के लिए भी कानूनी संरक्षण की बात कहते हुए दैनिक जीवन में उपभोक्ता के तहत आने वाली आधारभूत सुविधाओं में पानी, बिजली, टेलिफोन, बीमा जेसी शिकायतों से संबंधित जानकारी दी।
प्रारंभ में सरपंच श्यामसुन्दर पालीवाल ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत किया।
शिविर में जिले के विभिन्न न्यायालयों के न्यायाधीशों ने कानूनी सलाह दी।
इस अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्टे्रट राजेन्द्र कुमार, मुख्य कार्यकारी अधिकारी रामपाल शर्मा, उपखण्ड अधिकारी राजसमन्द मगनलाल योगी, तहसीलदार अमृतलाल डामोर, विकास अधिकारी राजसमन्द आरके अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता राजकुमार दक सहित गणमान्य नागरिक एवं आम ग्रामीण जन उपस्थित थे। शिविर का संयोजन अतुल पालीवाल ने किया।
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